प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्जैन में नवनिर्मित श्री महाकाल लोक का मंगलवार शाम को लोकार्पण किया। इससे पहले उन्होंने महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन किया और इस दौरान भगवान महाकाल का ध्यान भी किया। अआप्को बता दे की कार्तिक मेला ग्राउंड में आयोजित सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों का विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति और सांस्कृतिक दर्शन का पुनरुत्थान है। विश्व को शांति, मानवता के कल्याण और शिक्षा की राह भारत ने ही दिखाई है।
प्रलय के प्रहार से मुक्त है महाकाल की नगरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से मुक्त है। इसका आरंभ है न अंत, बल्कि यह अनंत है। उज्जैन भारत की आस्था का केंद्र है। विक्रम संवत के रूप में भारतीय कालगणना उज्जैन की ही देन है। संपूर्ण भारत में स्थापित प्राचीन मंदिरों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन मंदिरों को देखते हैं, तो इनकी विशालता और वास्तुकला आश्चर्य से भर देती है।
कोणार्क, तंजौर, रामेश्वरम, विल्लूर, मदुरै, तेलंगाना, श्रीनगर में स्थापित ऐसे विभिन्न मंदिरों में बेजोड़ कल्पनातीत रचनाएं बनी हैं, जो भूतो न भविष्यति के उदाहरण हैं। इन मंदिरों को देखकर हम सोचने पर विवश हो जाते हैं कि उस दौर में किस तकनीक से इन्हें कैसे बनाया गया होगा। उज्जैन के क्षण-क्षण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। इसके कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है। कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। यहां कालचक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 महादेव हैं। यहां चार महावीर हैं, छह विनायक हैं, आठ भैरव हैं, अष्ट मातृकाएं हैं, नव ग्रह हैं, दस विष्णु हैं, ग्यारह रुद्र हैं, बारह आदित्य हैं, 24 देवियां हैं और 88 तीर्थ हैं।