पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा आज भारतीय युवा कारोबारियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं. यूपी के अलीगढ़ जिले के एक छोटे से गांव के मूल निवासी और एक स्कूल टीचर के बेटे शर्मा आज फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में शामिल हैं. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में शर्मा ने खुद अपने जीवन के कई नए रोचक तथ्य उजागर किए हैं.
शर्मा ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. हालांकि इसके पहले उनकी पढ़ाई पूरी तरह से हिंदी मीडियम से हुई थी.
साल 1997 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एक वेबसाइट indiasite.net की स्थापना की और दो साल में ही इसे कई लाख रुपये में बेच दिया.
साल 2000 में उन्होंने one97 कम्युनिकेशन्स की स्थापना की जो न्यूज, क्रिकेट स्कोर, रिंगटोन, जोक्स और एग्जाम रिजल्ट जैसे मोबाइल कंटेन्ट मुहैया करता था. यह पेटीएम (Paytm) की पैरेंट कंपनी है. इस कंपनी की शुरुआत साउथ दिल्ली के एक छोटे से किराए के कमरे से की गई. पेटीएम की स्थापना साल 2010 में की गई थी.
इस कंपनी की शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में शर्मा ने खुद मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘ साल 2001 में जब दूसरे इंजीनियर अमेरिका जा रहे थे मैंने भारत में कंपनी शुरू की. दिल्ली के संडे बाजारों में मैं घूमा करता था और वहां से फॉर्च्यून एवं फोर्ब्स जैसी मैगजीन की पुरानी कॉपियां खरीदा करता था. ऐसे ही एक मैगजीन से मुझे अमेरिका के सिलिकॉन वैली में एक गैराज शुरू होने वाली कंपनी के बारे में पता चला.’
उन्होंने बताया, ‘मुझे उसके कॉन्सेप्ट ने प्रभावित किया और मुझे लगा कि मैं भारत में इससे काफी पैसा बना सकता हूं. इसलिए मैं अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के लिए गया. लेकिन मुझे पता चला कि भारत में तो तब स्टार्टअप के लिए कोई सपोर्ट ही नहीं था. न ही यहां तब एंजेल इनवेस्टर्स की कोई अवधारणा थी. मैंने अपने बचत के पैसों से शुरुआत की और एक टेलीकॉम ऑपरेटर मेरा पहला ग्राहक बना.’
शर्मा ने बताया कि मेरे बिजनेस में सबसे बड़ा सबक यह था कि इसमें कैश फ्लो नहीं आने वाला था. मैं जिस टेक्नोलॉजी, कॉल सेंटर, कंटेन्ट सर्विस के फील्ड में काम कर रहा था वहां से कम समय में कैश मिलना मुश्किल था. मेरे बचत के पैसे भी जल्द खत्म हो गए और इसके बार मुझे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से लोन लेना पड़ा. कुछ दिन में वह भी पैसा खत्म हो गया. अंत में मुझे एक जगह से 8 लाख रुपये का लोन 24 फीसदी ब्याज पर मिला.
ऐसे में एक व्यक्ति उनके लिए देवदूत बनकर आया. शर्मा ने बताया, ‘मुझे एक सज्जन मिले और उन्होंने कहा कि आप यदि मेरी घाटे वाली टेक्नोलॉजी कंपनी को फायदे में ला दो तो मैं आपकी कंपनी में निवेश कर सकता हूं. मैंने उनके कारोबार को मुनाफे में ला दिया और उन्होंने मेरी कंपनी One97 कम्युनिकेशन्स की 40 फीसदी इक्विटी खरीद ली. मैंने अपना लोन चुका दिया और इस तरह से पेटीएम की गाड़ी तेजी से चल पड़ी.
शर्मा ने बताया, ‘साल 2011 में कई तरह के आइडिया आए, लेकिन अंत में हमने स्मार्टफोन से पेमेंट की व्यवस्था को चुना. तब भारत में टेलीकॉम बूम पीक पर था. इस तरह ‘मोबाइल के द्वारा पेमेंट’ वाले पेटीएम का जन्म हुआ.
पेटीएम असल में पे थ्रू मोबाइल (pay through mobile) का शॉर्ट रूप है. साल 2017 में शर्मा को फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में शामिल किया गया था. तब उनका नेटवर्थ 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर था. आज उनका नेटवर्थ करीब 2.3 अरब डॉलर (करीब 16,775 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है.
अगस्त 2018 में पेटीएम में अमेरिका के दिग्गज निवेशक वारेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश किया.
साल 2016 में मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी से पेटीएम के सितारे बुलंद हो गए. नोटबंदी से पेटीएम का एक अरब होने वाला ट्रांजैक्शन दो महीने में ही 3 अरब हो गया. पेटीएम ने इंडियन क्रिकेट टीम की स्पांसरशिप की, इससे भी उसकी ब्रैंड इमेज काफी मजबूत हुई. इसके बाद पिछले साल शुरू हुए कोरोना संकट ने पेटीएम को पहली बार 1अरब डॉलर की कंपनी बना दिया.