कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च को देश में लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद शिक्षा और खासकर स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत हुई। पिछले करीब छह महीने में स्कूली शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ डिजिटल लेनदेन, प्रौद्योगिकी, जीवन शैली और कारोबार के क्षेत्र में काफी बदलाव आए हैं।
कंप्यूटर पर क्लास, ऑनलाइन मीटिंग
लॉकडाउन में स्कूल व दफ्तर भले ही बंद थे, लेकिन उनका दैनिक कामकाज नहीं रुका। जूम व गूगल मीट जैसे वीडियो कांफ्रेंसिंग एप के माध्यम से कक्षाएं लगने लगीं और दफ्तरों के कामकाज को सुचारु रखने के लिए इन्हीं माध्यमों से बैठकें भी शुरू हो गईं। पिछले वर्ष की पहली व दूसरी तिमाही में जूम का कारोबार क्रमश: 440 व 551 करोड़ रुपये था जो इस साल उसी अवधि में 896 व 1073 करोड़ रुपये गया। अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने अप्रैल के अंत में बताया था कि गूगल मीट के माध्यम से रोजाना 10 करोड़ बैठकें हो रही हैं।
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नए अवसर
लॉकडाउन के दौरान लोगों की जरूरतों में बदलाव हुआ। इसके कारण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसरों के द्वार भी खुले। केंद्र सरकार ने नई प्रतिभाओं को अवसर मुहैया कराने के लिए आत्मनिर्भर भारत इनोवेशन चैलेंज का आयोजन किया। इसमें केरल के स्टार्टअप टेक्जेंशिया के वीडियो कांफ्रेंसिंग एप वीकंसोल, जयपुर के सर्व वेव, इंस्टावीसी व हैदरामीट का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। बाजार से आने वाले फल, सब्जी, दूध व राशन सामग्री को सैनिटाइज करने के लिए यूवी डिवाइस का निर्माण किया गया। जरूरत के अनुरूप इस प्रकार के कई और उपकरण तैयार किए गए।
डिजिटल लेनदेन बढ़ा
ऑनलाइन भुगतान मंच रेजरपे की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान बिजली-पानी के बिलों के ऑनलाइन भुगतान में 163 फीसद इजाफा हुआ। स्कूल फीस के डिजिटल भुगतान में 23 फीसद, जबकि चिकित्सा फीस भुगतान में भी 20 फीसद इजाफा हुआ। यूपीआइ लेनदेन में 43, कार्ड से 40 और नेट बैंकिंग से भुगतान में 10 फीसद की वृद्धि हुई।
आयुर्वेद की ओर लौटे लोग
कोरोना की महामारी ने लोगों को आयुर्वेद की तरफ लौटने पर मजबूर कर दिया। घरों में सुबह-शाम काढ़े का उपयोग होने लगा तो आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया। काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, गिलोय आदि का इस्तेमाल बढ़ा। इम्युनिटी बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं की मांग भी बढ़ गई। ब्रिकवर्क्स रेटिंग ने जुलाई में जारी रिपोर्ट में बताया था कि पतंजलि के गत वर्ष के मुनाफे में 39 फीसद का इजाफा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भी कंपनी का मुनाफा बढ़ा है।
नए कारोबार के खुले द्वार
कोरोना संक्रमण के कारण सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स और पीपीआइ किट की मांग बढ़ी। इसके कारण कई कंपनियों ने अपने कारोबार का स्वरूप बदलते हुए इन अवसरों को लपक लिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के बाद करीब 500 छोटी-बड़ी उत्पादन इकाइयां सैनिटाइजर निर्माण में जुट गईं। करीब डेढ़ सौ कंपनियां ऐसी रहीं जो सौंदर्य प्रसाधन के साथ-साथ सैनिटाइजर का निर्माण करने लगीं। लॉकडाउन के प्रारंभिक दिनों में सैनिटाइजर के मांग में 64 फीसद का इजाफा हुआ था।