प्रदेश में लगभग तीन करोड़ लोग एलर्जी की चपेट में हैं। फास्ट फूड इसकी प्रमुख वजह बन रहे हैं। यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने दी। वह बृहस्पतिवार को इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड अप्लाइड इम्यूनोलॉजी की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन केजीएमयू व एरा मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है।
डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि फास्ट फूड में बासी वस्तुओं का इस्तेमाल होता है। वहीं खाने-पीने की अन्य वस्तुओं को भी लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए केमिकल का प्रयोग किया जाता है।
ऐसी खाद्य सामग्री से शरीर में फ्री रेडिकल्स बनते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी वजह से शरीर में सूजन आ आती है और चकत्ते पड़ जाते हैं।
हर उम्र के लोग एलर्जी की चपेट में
इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड अप्लाइड इम्यूनोलॉजी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एबी सिंह ने बताया कि भारत की 30 करोड़ की आबादी एलर्जी से ग्रसित है। यूपी में यह आंकड़ा करीब तीन करोड़ है। हर उम्र के लोग एलर्जी की चपेट में आ रहे हैं। मसलन बचपन में खान-पान की वजह से एलर्जी होती है। करीब पांच से सात फ ीसदी बच्चे एलर्जी, अस्थमा व दूसरी सांस की बीमारियों की जद में हैं। ज्यादातर लोगों को एलर्जी व अस्थमा की बीमारी जन्म से नहीं होती, उन्हें यह गलत खान-पान और रहन-सहन के कारण हो रही है।
एलर्जी को न करें नजरअंदाज
दिल्ली स्थित पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक व कार्यशाला के आयोजक अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि खुजर्ली और चकत्ते को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासतौर पर कुछ खाने व दूसरे वातावरण में जाने पर यदि शरीर में खुजली, चकत्ते, छींकने व गले में खराश की परेशानी हो तो उसे गंभीरता से लें। विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें। समय पर इलाज से बीमारी को काबू किया जा सकता है। इलाज में देरी से बीमारी और गंभीर रूप ले लेती है।