केरल के त्रिशूर जिले के इस छोटे से गांव में कभी नशे का ऐसा बोलबाला था कि यहां आन-जाने वालों को शाम 7 बजे के बाद न तो बस मिलती थी और न ही रिक्शा. गांव के सी. उन्नीकृष्णन लोगों को नशे के जाल से निकालने के लिए चेस खेलने की शुरुआत की. आज इस गांव में लड़के शाम 7 बजे के बाद गली-मोहल्ले, नुक्कड़-चौराहे और घर-आंगन में चेस खेलते नजर आते हैं.
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इस गांव के हर घर से कम से कम एक सदस्य तो चेस जरूर खेलता है. उन्नीकृष्णन बताते हैं कि आज से लगभग 40 साल पहले गांव के लोग शराब की गिरफ्त में कैद थे, 24 घंटे लोग शराब के नशे में मारपीट और झगड़ा करते रहते थे. उस समय उन्नीकृष्णन की उम्र महज 14 साल थी.
उन्नीकृष्णन ने गांव वालों की इस शराब की लत को छुड़ाने की ठान ली और इसके लिए उन्होंने चुना चेस को. उन्नीकृष्णन बताते हैं कि वो तब के ग्रैंडमास्टर बॉबी फिशर से काफी इंस्पायर्ड थे. उनकी शुरुआत तो काफी चुनौतिपूर्ण रही, मगर उनकी मेहनत रंग लाई. धीरे-धीरे गांव वाले शराब से दूर और चेस के करीब हो गये.
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