NZ VS ENG : क्या न्यूजीलैंड की टीम के साथ हुआ धोखा ?

वर्तमान में इंग्लैड ने विश्वकप जीत लिया है लेकिन इसके बावजूद बहुत से सवाल खड़े हुए है. एक चौका, चार सिंगल से बड़ा होता है? क्या एक छक्का तीन डबल से बड़ा होता है? क्या ज्यादा चौके-छक्कों से बोनस मिलता है? क्या एक चौके को एक छक्के के बराबर ही गिनना सही है? क्या किसी मैच में अंपायर का हर गलत फैसला एक ही टीम के खिलाफ जाता है? क्यों स्टोक्स के बल्ले से लगकर गेंद के चौके की ओर जाने पर पांच की जगह छह रन दिए जाते हैं?

रविवार को दुनिया के सबसे पुराने स्टेडियम लॉर्ड्स में यही हुआ. क्रिकेट के प्रशंसक इसे न्यूजीलैंड के साथ धोखा होना मान रहे हैं. अगर इतने फैसले न्यूजीलैंड के खिलाफ नहीं गए होते तो शायद इयोन मोर्गन की जगह केन विलियमसन की टीम के हाथों में पहली बार विश्व कप की चमचमाती ट्रॉफी होती. यही कारण है कि मैच के बाद जब न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन की प्रेस कांफ्रेंस खत्म हुई तो पहली बार सारे पत्रकारों ने उनके लिए खड़े होकर ताली बजाई. विश्व विजेता कप्तान इयोन मोर्गन के अपने मैदान में ऐसा करने के बावजूद यह नहीं हुआ. 

इस मामले में सबसे ज्यादा सवाल मैच और सुपर ओवर टाई होने के बाद चौके-छक्कों के आधार पर विश्व चैंपियन घोषित करने पर हो रहे हैं. जब एक चौका और एक छक्का आपस में बराबर नहीं होता तो फिर बाउंड्री के आधार पर कैसे किसी को चैंपियन बना सकते हैं, यह सवाल अधिकतर भारतीयों के मन में ही नहीं बल्कि पूरे क्रिकेट जगत के दिमाग में कौंध रहा है. इसके लिए आइसीसी की आलोचना भी हो रही है लेकिन सच कहूं तो दुनिया में क्रिकेट चलाने वाली संस्था को शायद उम्मीद ही नहीं थी कि ऐसा होगा क्योंकि अगर उसे लगता कि ऐसा होगा तो वह इस तरह का नियम नहीं बनाती.

लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम में रविवार को इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच हुआ फाइनल मैच टाई रहा. फिर सुपर ओवर भी टाई हो गया जिसके बाद इंग्लैंड को सबसे ज्यादा 26 चौके-छक्के (सुपर ओवर मिलाकर) के आधार पर विश्व विजेता घोषित कर दिया गया। हमेशा धीमे बल्लेबाजी करने वाली न्यूजीलैंड ने 17 चौके-छक्के ही लगाए थे और उसे हार का सामना करना पड़ा.

रविवार को जब न्यूजीलैंड के 241 रनों के जवाब में इंग्लैंड की टीम 50वें ओवर की आखिरी गेंद पर उसी स्कोर पर ढेर हो गई तो लॉड्र्स मीडिया सेंटर में स्कोरर की सुर्ख आवाज ने सबके कान खड़े कर दिए. स्कोरर ने वनडे में पहली बार प्रयोग किए जा रहे सुपर ओवर नियम का उल्लेख किया. वह बोले, सिर्फ अंतिम-11 के खिलाड़ी ही इसमें भाग लेंगे. प्रत्येक टीम से तीन बल्लेबाज ही बल्लेबाजी कर सकते हैं (यानी दूसरा विकेट हुआ तो पारी खत्म) और एक गेंदबाज ही छह गेंदें फेंक सकता है. जिसने 50-50 ओवर में दूसरी पारी में बल्लेबाजी की है, वह सुपर ओवर में शुरुआत में बल्लेबाजी करेगा.

इसी आधार पर मेजबान इंग्लैंड को पहले बल्लेबाजी का मौका मिला. स्कोरर आगे बोला कि सुपर ओवर में जो सबसे ज्यादा रन बनाएगा वह विजेता बनेगा, यहां तक भी किसी को परेशानी नहीं होगी. स्कोरर आखिरी नियम बता रहा था, अगर सुपर ओवर टाई हुआ तो जिस भी टीम ने पारी और सुपर ओवर मिलाकर सबसे ज्यादा चौके-छक्के लगाए होंगे वही विजेता बनेगा. इस नियम को सुनकर सभी भौचक्क थे लेकिन किसी को नहीं लग रहा था. कि छह-छह गेंदों बाद आइसीसी के सबसे आखिरी नियम का प्रयोग किया जाएगा.

सुपर ओवर में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए दो बाउंड्रीज की मदद से 15 रन बनाए. जवाब में न्यूजीलैंड एक छक्के की मदद से 15 रन ही बना सका और सुपर ओवर भी टाई हो गया. टी-20 क्रिकेट में भी ऐसा संयोग इससे पहले नहीं हुआ था. शायद आइसीसी को भी नहीं लगता था कि ऐसी संभावना होगी क्योंकि क्रिकेट में इतने सारे संयोग आज तक नहीं हुए थे. फीफा विश्व कप के नॉकआउट में जब मैच ड्रॉ होता है तो 15-15 मिनट के दो अतिरिक्त हाफ खेले जाते हैं.

अगर तब भी स्कोर बराबर रहे तो टाई ब्रेकर खेला जाता है और अगर तब भी मामला बराबरी पर रहे तो सडन डेथ होता है. रविवार को यहीं विंबल्डन में नोवाक जोकोविक और रोजर फेडरर को जीतने का बराबरी का मौका मिला. दोनों ने दो-दो सेट जीत लिए थे और पांचवें सेट में 12-12 से टाईब्रेक होने के बाद जोकोविक ने दो मैच प्वाइंट बचाकर खिताब जीता. यह नियम परफेक्ट था इसलिए इसकी आलोचना नहीं हुई. ऐसे में दोनों टीमों के पास अंतिम तक प्रयास करके जीतने का मौका होना चाहिए था लेकिन विश्व कप खिताब को जीतने के लिए न्यूजीलैंड को वह मौका नहीं मिला. निश्चित तौर पर आइसीसी को यह सोचना चाहिए. आइसीसी ने सभी विवादों पर कहा कि मैदानी अंपायरों के फैसले पर हम कोई टिप्पणी कर सकते हैं. खेल के समय फैसला लेना अंपायरों के अंतर्गत आता है.

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