NMC बिल आखिर क्या है ?पांच दिनों से जिसके खिलाफ हड़ताल पर हैं डॉक्टर्स देशभर के

लोकसभा में पारित हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Council Bill) विधेयक 2019 के विरुद्ध देश भर के डॉक्टर्स आज भी अपनी हड़ताल जारी रखेंगे. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से देश भर में मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच दिल्ली स्थिति एम्स और सफदरजंग अस्पताल में आज से आपातकाल सेवाएं दोबारा शुरू कर दी गई हैं. 

एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा है कि AIIMS की गवर्निंग बॉडी मीटिंग में, URDA, FORDA & AIIMS RDA के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है. इससे पहले एम्स, आरएमएल अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और एलएनजेपी सहित कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार करते हुए मार्च निकाला और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में जमकर नारेबाज़ी भी की. 

आपको बता दें कि NMC बिल सोमवार, 29 जुलाई को लोकसभा में पास कर दिया गया था. सरकार ने इस निर्णय को दूरदर्शी सुधारों में से एक बताया है, किन्तु इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स सडकों पर उतर आए है. 

आखिर““““ क्या है NMC बिल?

1- एनएमसी बिल के सेक्शन 32 में 3.5 लाख नॉन मेडिकल व्यक्ति को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और उपचार करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है. 6 माह का एक ब्रिज कोर्स करने के बाद देश के आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सक भी एमबीबीएस डॉक्टर की तरह एलोपैथी दवाएं लिख सकेंगे.
2- मेडिकल कोर्स यानी ग्रेजुएशन के बाद भी प्रैक्टिस शुरू करने के लिए एक और परीक्षा देनी होगी. ये परीक्षा अनिवार्य रहेगी. इसे पास करने के बाद ही प्रैक्टिस और पोस्ट ग्रेजुएशन की अनुमति मिलेगी. अभी एग्जिट टेस्ट केवल विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र ही देते हैं.
3- एनएमसी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 40 प्रतिशत सीटों की फीस भी निर्धारित करेगी. बाकी 60 प्रतिशत सीटों की फीस निर्धारित करने का अधिकार कॉलेजों का होगा.
4- मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए केवल एक ही एग्जाम NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) ली जाएगी.

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