पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद संख्या बल में तीसरे नंबर पर रह गए जदयू को भले ही अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिल गया, लेकिन सरकार में सबकुछ ठीक चलता नहीं दिख रहा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बड़े भाई की भूमिका रखने वाली भाजपा बिहार सरकार में भी यही असर रखना चाहती है। इसके लिए भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपना दबाव बनाए रखना चाहती है।
इस स्थिति से खुद नीतीश भी असमंजस में हैं, इसका इशारा मंगलवार को पटना के जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा पर चल रहे विस्तारीकरण का कार्य देखने पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ही मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने का ठीकरा भाजपा के सिर पर फोड़कर कर दिया।
दरअसल सरकार गठन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि विधानसभा सत्र के ठीक बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आमतौर पर ऐसे मसलों से जुड़े सवालों को टाल जाने वाले नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है, इसलिए मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री के इस बयान से स्पष्ट लग रहा है कि भाजपा ने अभी तक अपने मंत्रियों पर आखिरी फैसला नहीं लिया है।
हालांकि राजनीतिक हलकों में पहले से ही यह आशंका जताई जा रही है कि सरकार में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। भाजपा इस बार बड़े बदलाव के मूड में है तो नीतीश असहज महसूस कर रहे हैं। नीतीश के इस बयान के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा है कि यह सरकार अपनी वजहों से ही गिर जाएगी और फिर राज्य की जनता भाजपा को सबक सिखाएगी।
छोटा भाई जताए जाने से असहज हो रही जदयू-
दरअसल भाजपा बार-बार जदयू को छोटे भाई के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है, जिससे जदयू असहज होती दिखाई दे रही है। पिछली सरकार में जदयू का संख्या बल ज्यादा था, लेकिन इस बार संख्या बल के हिसाब से भाजपा आगे है। इस लिहाज से वह सरकार पर नियंत्रण की सारी संभावनाएं देख रही है। जाहिर है ऐसी स्थिति में सरकार में सब कुछ सामान्य होना संभव नहीं है।