NIA की विशेष अदालत ने पाकिस्तानी आतंकी को सुनाई 10 साल की सजा

 भारत में आतंक फैलाने और अराजकता का माहौल पैदा करने की साजिश में लिप्त लश्कर ए तैयबा के आतंकवादी को दिल्ली के पटियाला हाऊस स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. एनआईए की विशेष अदालत ने बीते सप्ताह 26 मार्च को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के पाकिस्तानी आतंकवादी बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर को सजा सुनाई थी, जो भारत में आतंकी हमले करने के लिए बड़ी साजिश रचने का दोषी है.

इन धाराओं के तहत सुनाई गई सजा

एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 120बी, 121ए, 489 (सी), यूए(पी) अधिनियम की धारा 17, 18, 20, 38, शस्त्र अधिनियम की धारा 7, 10 और 25, विस्फोटक अधिनियम की धारा 9बी, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4, विदेशी अधिनियम की धारा 14 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 की धारा 6(1ए)  के तहत बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर को दस साल की सजा सुनाई है.

जुलाई 2016 में पकड़ा गया था आतंकी

सुरक्षाबलों ने 25 जुलाई 2016 को बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर को उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के यहामा मुकाम हंदवाड़ा गांव में एक मुठभेड़ के बाद पकड़ा था. इस दौरान उसके पास से एक एके-47 राइफल, यूबीजीएल, हथगोले, एक नक्शा, वायरलेस सेट, जीपीएस, कंपास और अन्य सामान जब्त किए गए थे. बहादुर अली बाकी दो पाकिस्तानी आतंकी अबू साद और अबू दरदा के साथ जुलाई 2016 में LoC के रास्ते भारत में आतंकी वारदात के लिए दाखिल हुआ था, बाकी दोनों आतंकी मारे गए थे.

एनआई ने 2017 में दायर की थी चार्जशीट

इस मामले में करीब 6 महीने की जांच के बाद एएनआईए ने 6 जनवरी 2017 को चार्जशीट दाखिल की थी. एनआईए ने बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA), विस्फोटक कानून, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, हथियार कानून, विदेशी अधिनियम और भारतीय वायरलेस अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे.

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