राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानि नीट के नतीजे पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है और मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है. इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच द्वारा नीट रिजल्ट पर रोक लगाए जाने के बाद सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै बेंच ने 8 जून को नीट के नतीजे जारी करने पर रोक लगा दी थी. नीट रिजल्ट पर रोक का मामला करीब 12 लाख अभ्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा है. करीब साढे दस लाख छात्रों ने हिन्दी या अंग्रेजी भाषा में परीक्षा दी थी, जबकि करीब सवा से डेढ लाख छात्रों आठ क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा में बैठे थे.
गौरतलव है कि सीबीएसई ने शुक्रवार को देश में एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट 2017 परीक्षा के नतीजों को प्रकाशित करने पर रोक के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई. उच्च न्यायालय ने 24 मई को कई याचिकाओं पर नीट परिणाम के प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगाई थी. याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि परीक्षा में एक जैसा प्रश्नपत्र नहीं दिया गया और अंग्रेजी तथा तमिल भाषाओं के प्रश्नपत्रों में बहुत अंतर है.
क्या है पूरा मामला ?
इस साल नीट का एग्जाम हिंदी और अंग्रेजी के अलावा अन्य आठ भाषाओं में हुआ था. मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर यह बात कही गई थी कि स्थानीय भाषाओं में पूछे गए सवाल अंग्रेजी भाषा में पूछे गए सवालों के मुकाबले आसान थे. वहीं गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा गया था कि गुजराती में पूछे गए सवाल अंग्रेजी के मुकाबले कठिन थे. गुजरात में नीट मामले पर मंगलवार को सुनवाई की गई थी. वहीं सीबीएसई ने इस मामले में कहा था कि सभी पेपरों को मॉडरेटरों ने तय करके एक ही लेवल का निकाला था. बोर्ड का कहना है कि सभी भाषा में पेपर का डिफिकल्टी लेवल एक जैसा ही था.
मेडिकल में एडमिशन के लिए होता है नीट का आयोजन
नीट का आयोजन मेडिकल और डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में प्रवेश के लिए किया जाता है. इस परीक्षा के द्वारा उन कॉलेजों में प्रवेश मिलता है, जो मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया और डेटल कांउसिल ऑफ इंडिया के द्वारा संचालित किया जाता है.