केंद्र सरकार ने स्वामित्व योजना की शुरुआत की है। इस योजना में सब कुछ टेक्नोलॉजी के माध्यम से हो रहा है। सारी कार्यवाही के बाद गांव के लोगों को, हर एक नागरिक का उनके घर का, उनकी जमीन का स्वामित्व कार्ड दिया जा रहा है।
आज जल जीवन मिशन से हर घर जल पहुंचाने का काम तेजी से चल रहा है। इस मिशन का लाभ यहां इस क्षेत्र में रहने वाले हमारे हमारे आदिवासी भाई-बहनों को भी होगा।
2014 में प्रधानसेवक बनने के बाद मुझे नीतीश जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सिर्फ 3-4 वर्ष ही काम करने का मौका मिला है। बाकी तो यूपीए के साथ संघर्ष करने में बिहार का टाइम गया है। लेकिन इन 3-4 वर्षों में कहीं 3-4 गुना और कहीं पर तो 5 गुना तेजी से काम किया गया है।
सुविधा के साथ-साथ बिहार के सभी वर्गों को अधिक से अधिक अवसर देने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण को अगले 10 साल तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
बीते वर्षों में बिहार के गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, अतिपिछड़े, आदिवासी तक वो सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास किया गया है, जिन्हें पाना कभी बहुत मुश्किल होता था।
साथियों आज एनडीए के सभी दल मिलकर आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी बिहार के निर्माण में जुटे हैं। बिहार को अभी भी विकास के सफर में मीलों आगे जाना है। नई बुलंदी की तरफ उड़ान भरनी है।
बाद में 18 महीने क्या हुआ, ये आप भली-भांति जानते हैं। इन 18 महीनों में परिवार ने क्या-क्या किया, कैसे-कैसे खेल किए, ये भी किसी से छिपा नहीं है। जब नीतीश जी ये समझ गए कि इन लोगों के साथ रहते हुए बिहार का भला तो छोड़िए, बिहार और 15 साल पीछे चला जाएगा तो उन्हें फैसला लेना पड़ा।
जब बिहार के लोगों ने इन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया, नीतीश जी को मौका दिया तो ये बौखला गए। उनके अंदर एक गुस्सा आया और जहर भर गया और इसके बाद इन्होंने 10 सालों तक दिल्ली में यूपीए सरकार में रहते हुए बिहार पर, बिहार के लोगों पर अपना गुस्सा निकाला।
बिहार के विकास की हर योजना को अटकाने और लटकाने वाले ये लोग हैं जिन्होंने अपने 15 साल के शासन में लगातार बिहार को लूटा। आपने बहुत विश्वास के साथ सत्ता सौंपी थी लेकिन इन्होंने सत्ता को अपनी तिजोरी भरने का माध्यम बना लिया।
मैं बिहार की भूमि से इन लोगों को एक बात स्पष्ट कहना चाहता हूं- ये लोग जिसकी चाहे मदद ले लें, देश अपने फैसलों से पीछे नहीं हटेगा। भारत अपने फैसलों से पीछे नहीं हटेगा।
इन लोगों को आपकी जरूरतों से कभी सरोकार नहीं रहा। इनका ध्यान रहा है अपने स्वार्थों पर, अपनी तिजोरी पर। यही कारण है कि भोजपुर सहित पूरे बिहार में लंबे समय तक बिजली, सड़क, पानी जैसी मूल सुविधाओं का विकास नहीं हो पाया।