अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत की जांच को लेकर अब तक सीबीआई की तरफ से कोई बयान जारी न होने से उनके जानने वाले बेचैन हो ही रहे हैं। उधर, इस मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की एंट्री ने सुशांत को बिहार चुनाव का पोस्टर ब्वॉय बनाने की भारतीय जनता पार्टी की कोशिशों पर भी पानी फेर दिया है। फिल्म जगत के लोगों ने जिस तरह सुशांत के पार्टियों और शूटिंग के दौरान नशा करने की बात कही है, उससे सबसे ज्यादा नुकसान सुशांत की छवि को ही हुआ है।
इस बीच ये आरोप सामने आने से भी लोग घबराए हुए हैं कि जांच एजेंसी का एक अधिकारी जानबूझकर फिल्म जगत के लोगों को फंसाने की कोशिश कर रहा है।
हिंदी फिल्म जगत में इस समय भय का माहौल व्याप्त है। लंबे समय से फिल्म थिएटर खोले जाने की मांग कर रहे लोग सोमवार की सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे। जाहिर है कि इसमें सरकार की नीतियों की आलोचना की तैयारी की गई थी और देश में सब कुछ खुल जाने के बाद भी थिएटर न खुलने की बात पत्रकारों से की जानी थी। लेकिन, ऐन मौके पर इसमें शामिल हो रहे दिग्गजों की सरकार से भिड़ने की हिम्मत जवाब दे दी गई और ये प्रेस कॉन्फ्रेंस कैंसिल हो गई।
ऐसा ही माहौल हिंदी सिनेमा के तमाम दूसरे प्रोडक्शन हाउस में भी देखने को मिल रहा है। करण जौहर की कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस की सहायक कंपनी धर्मेटिक्स के लोग तो इस बारे में बात तक करने से कतरा रहे हैं। दरअसल, इस मामले में गिरफ्तार किए गए धर्मा प्रोडक्शंस के पूर्व कर्मचारी क्षितिज प्रसाद ने अपनी जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान एनसीबी पर कथित रूप से जो आरोप लगाए हैं, वे काफी सनसनीखेज हैं।
क्षितिज प्रसाद के वकील सतीश मानेशिंदे के मुताबिक एनसीबी के एक अफसर ने क्षितिज को इस बात के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया कि वह इस मामले में करण जौहर का नाम ले। करण जौहर के अलावा कुछ और नाम भी क्षितिज ने बताए हैं जिनके ड्रग कारोबार में शामिल होने की बात कहने का दबाव उन पर बनाया गया।
क्षितिज प्रसाद को धर्मा प्रोडक्शंस के लिए काम किए अरसा हो चुका है। हिंदी फिल्म जगत में निर्देशक, कार्यकारी निर्माता आदि फिल्म दर फिल्म के हिसाब से बदलते रहते हैं और ये किसी प्रोडक्शन कंपनी के कर्मचारी न होकर ठेके पर काम करने वाले लोग होते हैं। एनसीबी को फिल्म जगत की कार्यप्रणाली की जानकारी न होने का खुलासा भी इन बातों से होता है।
हिंदी फिल्म जगत में इस बात को लेकर भी हड़कंप मचा हुआ है कि पूछताछ के लिए बुलाने की जानकारियां सार्वजनिक करने से मशहूर हस्तियों की ब्रांड वैल्यू बाजार में गिर रही है और निर्दोष साबित होने के बाद भी ये ब्रांड वैल्यू वापस पुराने स्तर पर आ सकेगी या नहीं, कोई नहीं कह सकता।
क्षितिज प्रसाद को बिना गिरफ्तारी एनसीबी के दफ्तर में अनाधिकारिक तरीके से रोके रखने का मामला भी उनकी जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया है। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा जो नुकसान हुआ है, वह सुशांत सिंह राजपूत की एक भविष्यदृष्टा और खगोलशास्त्री की छवि को हुआ है। अब तक के बयानों से ये बात बार बार सामने आ रही है कि वह अपनी हीरोइनों को अपने साथ निर्जन फार्म हाउस पर ले जाते थे और वहां जमकर पार्टी करते थे।
एनसीबी की जांच में भी ये बातें आधिकारिक रूप से दर्ज हो चुकी हैं कि सुशांत शूटिंग के दौरान और पार्टियों में नशीले पदार्थों का सेवन करते थे। सुशांत की मौत के मामले की जांच केंद्र सरकार ने सीबीआई को सौंप रखी है और अब तक सीबीआई ने इस बारे में न तो कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और न ही प्रवर्तन निदेशालय ने ही 15 करोड़ रुपये के घपले की जांच को लेकर ही कुछ कहा है।