भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का बहु-प्रतीक्षित इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) अगले वित्त वर्ष के लिए टल सकता है क्योंकि सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का पहले स्वतंत्र बीमांकिक (एक्चुएरियल) मूल्यांकन कराएगी। डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पाण्डेय ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एलआईसी के आईपीओ से पूर्व की तैयारियां चार स्तर पर चल रही हैं। इनमें अनुपालन के लिए सलाहकारों की नियुक्ति, वैधानिक संशोधन, एलआईसी के आंतरिक सॉफ्टवेयर में बदलाव और एलआईसी के बीमांकिक मूल्यांकन के लिए एक्चुअरी की नियुक्ति शामिल है। सरकार की योजना एलआईसी के स्थापना के लिए बने कानून में संशोधन करना है।
चालू वित्त वर्ष में 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से एलआईसी में हिस्सेदारी की बिक्री बहुत अहम है।
पाण्डेय ने कहा कि इन चार चरणों के पूरा होने के बाद ही इस बात पर निर्णय किया जाएगा कि सरकार LIC में कितनी हिस्सेदारी बेचेगी। उनसे जब पूछा गया कि यह IPO इस साल हो पाएगा या नहीं तो उन्होंने कहा, ”इन चार चीजों को पूरा करने के बाद ही….हम इस वित्त वर्ष में इस पूरा करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, यह IPO बड़ा मुद्दा है और मुझे लगता है कि इसमें समय लगेगा।”
दीपम के सचिव ने कहा कि Deloitte और SBI Caps को प्री-आईपीओ के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है और वे अनुपालन से जुड़ी चीजों के लिए एलआईसी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे जुड़ा दूसरा हिस्सा विधायी संशोधन का है, जिसपर वित्तीय सेवा विभाग एवं दीपम काम कर रहे हैं। इसके तहत एलआईसी अधिनियम में संशोधन किया जाएगा, जिसके बाद एलआईसी का आईपीओ संभव हो सकेगा।
वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आईपीओ के जरिए एलआईसी में सरकार की कुछ हिस्सेदारी बेचने की योजना का ऐलान किया था।