जानें कैसे ताबूत बनाने वाला बना रातोंरात अमीर

जानें कैसे ताबूत बनाने वाला बना रातोंरात अमीर

नई दिल्‍ली। अंतरिक्ष से गिरे एक दो किलोग्राम के उल्‍का पिंड के टुकड़े ने एक ताबूत बनाने वाले इंडोनेशियाई व्‍यक्ति को 14000 अमेरिकी डॉलर (198,502,311.58IDR) दिलवाए हैं। इस व्‍यक्ति का नाम जोशुआ हुटागालुग है। जोशुआ पेशे से एक कारपेंटर है जो ताबूत बनाने का काम करता है। आपको बता दें कि जोशुआ को मिली कुल रकम भारतीय करेंसी में करीब 1,038,120.5077 रुपये है। वेस्‍टर्न मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस पैसे के मिलने के बाद जोशुआ रातों-रात अमीर बन गया है। हालांकि इंडोनेशिया के अखबार जकार्ता पोस्‍ट ने जोशुआ के हवाले से ऐसी खबरों को झूठा बताया है। इसमें जोशुआ के हवाले से कहा गया है कि उसको इतनी कम कीमत देकर ठग लिया गया है, जबकि इसकी कीमत इससे करीब सौ गुना ज्‍यादा थी। इसमें उन्‍होंने बताया है कि इस पैसे से वो एक चर्च का निर्माण करवाएंगे और बेसहारा बच्‍चों की मदद करेंगे। जोशुआ उल्‍का पिंड का टुकड़े मिलने के बाद पूरी दुनिया की मीडिया में छाए हुए हैं। आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि 19 नवंबर को दुबई के आसमान में इसी तरह से उल्‍का पिंड आसमान में दिखाई दिए थे।

ऐसे मिला उल्‍का पिंड-

दरअसल, 1 अगस्‍त को जब वे कोलांग जिले के सेंट्रल तापानौली स्थित अपने घर में काम कर रहे थे तभी दोपहर के समय एक पत्‍थर उनकी छत तोड़ते हुए आंगन में जा गिरा था। इसकी वजह से उनके आंगन में एक फीट से अधिक गहरा एक गड्ढा हो गया था। जब उन्‍होंने बाहर निकल इसको देखा और छुआ तो ये टुकड़ा बेहद गर्म था। इस चट्टान के टुकड़े का रंग सलेटी रंग का था। शुरुआत में इस घटना से जोशुआ हैरान थे। उन्‍होंने इस घटना का जिक्र सोशल मीडिया के माध्‍यम से अपने दोस्‍त किया। दोस्‍त ने उन्‍हें इसको बेचने की सलाह दी। पहले पहल वो इसको बेचने के लिए गंभीर नहीं थे। लेकिन बाद में उन्‍होंने इसकी जानकारी जुटानी शुरू की। इसी दौरान उन्‍हें मैक्सिको के उस व्‍यक्ति के बारे में पता चला जिसके जीवन में ऐसी ही घटना घटी थी। जैसे जैसे जोशुआ ने इस बारे में जानकारी जुटाई तो उन्‍हें पता चला कि उनके आंगन में गिरा हुआ पत्‍थर दरअसल, लाखों किमी दूर अंतरिक्ष से आया है। उन्‍हें पता लगा कि ये एक उल्‍का पिंड है। इसका वजन दो किग्रा से कुछ अधिक था।

उल्‍का पिंड का सौदा-

इसके बाद उन्‍होंने इस उल्‍का पिंड की फोटो सोशल मीडिया पर पोस्‍ट की। इसका उन्‍हें फायदा तब हुआ जब अमेरिका के एस्‍ट्रॉयड स्‍पेशलिस्‍ट जैरेड कॉलिंस ने जोशुआ से संपर्क किया। दोनों के बीच बातचीत होने के बाद कॉलिंस इंडोनेशिया गए। इसके बाद इस उल्‍का पिंड के टुकड़े की जांच की गई। इस जांच में पाया गया कि ये चट्टानी टुकड़ा करीब साढ़े चार अरब वर्ष पुराना है। कॉलिंस ने जांच के दौरान पाया कि जोशुआ को मिला टुकड़ा बेहद दुर्लभ किस्‍म का था। इसकी पुष्टि होने के बाद जोशुआ को उन्‍होंने 14 हजार अमेरिकी डॉलर देने का ऑफर किया, जिसको जोशुआ ने ठुकरा दिया था। बाद में कॉलिंस ने उनके घर की छत ठीक कराने के लिए भी पैसे देने का लालच दिया, जिसके बाद वो ऑफर को ठुकरा नहीं सके। कॉलिंस ने जोशुआ से कहा कि वो उन्‍हें इतने पैसे देंगे जितने वो 30 वर्षों में भी नहीं कमा सकेंगे। कॉलिंस के मुताबिक जोशुआ ने इसका मोलभाव बेहद प्रोफेशनल तरीके से किया। अमेरिका वापस आकर कॉलिंस ने इसको आगे एक कलेक्‍टर को बेच दिया। इसको एरिजोना स्‍टेट यूनिवर्सिटी में रखा गया है।

हर रोज होती हैं ऐसी घटना-

आपको बता दें कि इस तरह की घटनाएं बेहद कम होती हैं। हालांकि खगोलविद मानते हैं कि धरती पर रोज की उल्‍का पिंड गिरते हैं, लेकिन आकार में छोटे होने की वजह से ये धरती पर आने से पहले ही खत्‍म हो जाते हैं। इस तरह के उल्‍का पिंड़ों का वजूद पृथ्‍वी के निर्माण से ही मौजूद है। इस तरह के उल्‍का पिंडों का निर्माण अधिकतर निकल, लोहे या मिश्रधातु से होता है। इसके अलावा कुद सिलिकेट खनिजों से बने पत्थर से भी निर्मित होते हैं। इनके आकार की बात करें तो ये छोटे से लेकर बास्‍केटबॉल के मैदान जितने बड़े हो सकते हैं। इनकी संरचना में पाई जाने वाली भिन्‍नताओं की ही वजह से इन्‍हें अमेजिंग और मैटेलिक मिट्रिऑट कहते हैं।

एस्‍ट्रॉयड बेल्‍ट-

गौरतलब है कि ब्रह्मांड में पृथ्‍वी के चारों तरफ एक एस्‍ट्रॉयड बेल्‍ट भी मौजूद है जिनमें छोटे और बड़े आकार के एस्‍ट्रॉयड चक्‍कर लगाते रहते हैं। कई बार ये एस्‍ट्रॉयड पृथ्‍वी के गुरुत्‍वाकर्षण की वजह से तेजी से धरती की तरफ गिरने लगते हैं। धरती पर हजारों किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गिरते हुए इन्‍हें तेज घर्षण का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से ये एक आग के गोले में तब्‍दील हो जाते हैं। कई बार इतने अधिक तापमान में छोटे आकार के एस्‍ट्रायड हवा में ही खत्‍म हो जाते हैं, लेकिन कई बार इसका सामना करते हुए ये तेजी से धरती पर आ गिरते हैं। इनकी वजह से कई बार काफी नुकसान भी होता है। जहां तक उल्‍का पिंड़ों के जमीन पर गिरने की बात है तो फरवरी 2013 में रूस की उराल पर्वत श्रंख्‍ला में एक उल्‍का पिंड बेहद तेज आवाज के साथ आ गिरा था। इस उल्‍का पिंड की वजह से कई इमारतों के शीशे चकनाचूर हो गए थे। बेहद तेज रफ्तार से जमीन पर टकराने की वजह से कुछ जगहों पर तेज झटके भी महसूस किए गए थे। लोगों ने इसको आसमान से गुजरते और इसकी दहशत को करीब से महसूस किया था।

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