जानें 'बार्डर' फिल्म का असल हीरो न होता तो बदल जाता देश का नक्शा, पीएम मोदी ने किया सैल्यूट

जानें ‘बार्डर’ फिल्म का असल हीरो न होता तो बदल जाता देश का नक्शा, पीएम मोदी ने किया सैल्यूट

नई दिल्ली। 1971 को भारत-पाक युद्ध के दौरान लौंगेवाला चौकी पर तैनात ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने एक साहसिक फैसला न लिया होता तो पाकिस्तानी फौज आसानी से रामगढ़ होते हुए जैसलमेर तक पहुंच जाती। महावीर चक्र से सम्मानित ब्रिगेडियर चांदपुरी की जाबांजी लौंगेवाला युद्ध के पचास साल बाद भी लोगों की जुबान पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनके साहस को सलाम कर चुके हैं।

हिंदी फिल्म ‘बार्डर’ में अभिनेता सनी देओल ने ब्रिगेडियर चांदपुरी का किरदार निभाया था। दो साल पहले अपने जन्मदिन से पांच दिन पहले उनका देहांत हो गया था। इस साल दिवाली (14 नवंबर) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसलमेर में ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी को याद कर उनकी शौर्यगाथा को ताजा किया। चांदपुरी का जन्मदिन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले साल लौंगेवाला युद्ध के पूरे 50 साल हो जाएंगे। 

उनके बेटे हरदीप सिंह चांदपुरी बताते हैं कि 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ा युद्ध समाप्त होने को था। 4 दिसंबर को तत्कालीन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को सूचना मिली कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज लौंगेवाला चौकी की ओर बढ़ रही है। चौकी की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस सैन्य टुकड़ी के पास थी, उसका नेतृत्व मेजर चांदपुरी ही कर रहे थे। उनके पास महज 120 सैनिक थे, जबकि पाकिस्तान के पास करीब 60 टैंक व तीन हजार जवान थे। चाहते तो मेजर कुलदीप सिंह पीछे हट सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। 

हरदीप ने बताया कि सेना से जुड़े लोगों ने उन्हें बताया था कि पाकिस्तान का मंसूबा राजस्थान को कब्जा कर भारत के साथ बांग्लादेश को लेकर सौदेबाजी करना था, लेकिन 5 दिसंबर को सूरज निकलने के साथ ही भारतीय वायु सेना के विमान पाकिस्तानी टैंकों और फौजियों पर कहर बनकर टूट पड़े। मेजर चांदपुरी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने वो अदम्य साहस दिखाया कि पाकिस्तान की एक पूरी ब्रिगेड और दो रेजिमेंट का सफाया हो गया। भारतीय जमीन पर पाकिस्तान के कब्जे का मंसूबा नाकाम ही नहीं हुआ बल्कि उल्टे भारतीय सैनिक पाकिस्तान में 8 किलोमीटर अंदर तक जा घुसे।   

कभी खुद नहीं लिया जीत का श्रेय- 

हरदीप बताते हैं कि लौंगेवाला की लड़ाई का श्रेय उनके पिता खुद लेने के बजाय अपनी टुकड़ी, बीएसएफ के सिपाही व वायुसेना को देते थे। कुलदीप सिंह के तीन बेटे हैं। बड़े बेटे हरदीप चंडीगढ़ सेक्टर 33 में रहते हैं, जबकि दोनों छोटे बेटे अमरदीप और गगनदीप विदेश में हैं। दोनों ही इंजीनियर हैं। हरदीप ने बताया कि आज भी लोग उनके सेक्टर में आकर यह पूछते हैं कि बॉर्डर फिल्म जिन पर बनी थी, उनका घर कहां है। इसके बाद सेक्टरवासी उन्हें उनके घर लेकर आते हैं।

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