जेएनयू प्रवेश परीक्षा की आंसर की पर आपत्ति के लिए एक हजार रूपये के शुल्क को लेकर जेएनयू एबीवीपी ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसका विरोध किया है। दरसल मामला ये है कि देश के प्रतिष्ठित संस्थान जेएनयू की प्रवेश परीक्षा का जिम्मा नेशनल टेस्टिंग ऐजेंसी को दिया गया है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए , इसी महीने की 6 से 8 तारीख को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गयी थी। 20 अक्टूबर को एनटीए ने इसकी आंसर की जारी की थी। अगर अभ्यर्थियों को किसी प्रश्न के उत्तर में आपत्ति है तो वे तय अवधि में उसे दर्ज करा सकते हैं। ऐसा करने के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए एक हजार का शुल्क, और प्रमाण देना होगा। बाद में यदि आपत्ति सही होती है तो यह शुल्क वापस कर दिया जाएगा।
अब जेएनयू एबीवी का कहना है कि एनटीए भले ही इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया मानती हो लेकिन यह अनुचित और गैर-लोकतांत्रिक है। उनका कहना है कि ये प्रश्न पत्र जेएनयू की फैकल्टी ने तैयार करे थे। इसलिए यह एनटीए की जिम्मेदारी है कि वह सही आंसर की जेएनयू प्रशासन से मांगे। और तो और अभ्यर्थियों ने जेएनयूईई 2020 का शुल्क पहले ही भर दिया था।
जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने कहा कि “कोरोना के इस दौर में जबकि समाज के बहुत से लोग आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं ऐसे में एनटीए द्वारा अपने नैतिक दायित्व और जिम्मेदारी के लिए अभ्यर्थियों से एक हजार रूपये का शुल्क लेना अनैतिक है। जिस आंसर की को एनटीए पहले ही मंजूरी दे चुका है उसपर आपत्ति के लिए अभ्यर्थी क्यों पैसे भरें?”
जेएनयू एबीवीपी के सचिव गोविंद डांगी ने कहा कि “जेएनयू एबीवीपी ने एनटीए के डायेरेक्टर को भी पत्र लिखा है। ताकि आंसर की के मसले पर जल्द से जल्द कोई फैसला लिा जा सके। और तब तक आंसर की पर आपत्ति उठाने की प्रक्रिया को पारदर्शी और निशुल्क बनाया जा सके। ताकि प्रत्याशित विद्यार्थियों को कोई नुकसान न हो।”