वोडाफोन इंडिया पीएलसी और आइडिया सेल्युलर इंडिया ने विलय के पूरा होने की घोषणा की है। विलय के बाद, शीर्ष स्तर के प्रबंधन को ये दोनों मिलकर देखेंगे और रिलायंस जियो की बढ़ती लोकप्रियता को मिलकर चुनौती देंगे। कुमार मंगलम बिड़ला विलय के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष होंगे। इस मर्जर कंपनी के नए सीईओ बालेश शर्मा होंगे, जो वर्तमान वोडाफोन सीओओ हैं।
वोडाफोन समूह के मुख्य कार्यकारी, विटोरियो कोलाओ और आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा है:
वोडाफोन इंडिया और आइडिया के विलय के जरिये नई कंपनी की स्थापना के लिए प्रस्तावित प्रबंधन टीम की घोषणा करते हुए हम खुश हैं। टीम का व्यापक अनुभव है और दोनों कंपनियों के साथ आने से प्रोफेशनल फायदा मिलेगा। हम विलय के पूरा होने और बाजार में एक कंपनी के रूप में प्रतिस्पर्धा के लिए तत्पर हैं।
क्या साथ आएगा एयरटेल?
भारती एयरटेल पहले से ही इंडिया वायरलेस बिजनेस के लिए कैपेक्स पर 22,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। वहीं इस साल रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड बुनियादी ढांचे पर खर्च करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। सरकार भी इस विलय की मदद करेगी। दोनों कंपनियां प्रमुख बाजारों में स्पेक्ट्रम को बरकरार रखने में सक्षम होंगी और फिर नकदी प्रवाह को बढ़ावा देगी।
बाकियों के लिए चुनौती
प्रतिद्वंद्वियों को जियो के साथ डाटा क्षमता की खाई पाटने की जरूरत
दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों जैसे एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर को रिलायंस जियो के साथ डाटा क्षमता की खाई को पाटने के प्रयास में तेजी लाने की जरूरत है, जिसके लिए अगले 2-3 वर्ष में पूंजीगत खर्च के स्तर को बढ़ाना पड़ सकता है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। दूरसंचार क्षेत्र पर एक हालिया रिपोर्ट में कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि जियो और एयरटेल, वोडाफोन व आइडिया सेल्यूलर के बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) नंबर औप क्रंचिंग (डाटा का विश्लेषण) की संख्या का विश्लेषण दर्शाता है कि इन दूरसंचार संचालकों के संयुक्त डाटा क्षमता में 62 फीसदी हिस्सेदारी नए ग्राहकों की होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारती एयरटेल लगभग 21 फीसदी संयुक्त क्षमता हिस्सेदारी के साथ आइडिया और वोडाफोन से आगे है, जिनकी संयुक्त क्षमता हिस्सेदारी 17 फीसदी है। हालांकि, हमारा यह नहीं मानना है कि एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को जल्द से जल्द अपनी डाटा क्षमता को जियो के बराबर कर लेने की जरूरत है। हमारा मानना है कि इस खाई को पाटने के लिए उन्हें प्रयास में तेजी लाने की जरूरत है।