Jet Airways Stake Sale: आई सामने तीन कंपनियां ,बोली नहीं लगाई एतिहाद ने

जेट एयरवेज के कर्जदाताओं को एयरलाइन की हिस्सेदारी की बिक्री के लिए तीन कंपनियों ने अभिरुचि पत्र दिए हैं। एयरलाइन के इक्विटी साझीदार एतिहाद एयरवेज ने बोली जमा करने की आखिरी तारीख को भी बोली पेश नहीं किया। जेट एयरवेज में एतिहाद एयरवेज की 24 फीसद हिस्सेदारी है। सूत्रों के मुताबिक, बैंकों को तीन कंपनियों की ओर से अभिरूचि मिले हैं। इनमें से दो वित्तीय कंपनियां हैं जबकि एक वैश्विक विमानन कंपनी है।

बैंक से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, ‘तीन बोली मिली है…लेकिन एतिहाद एयरवेज ने इस बार बोली नहीं लगाई है।’ उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में रुचि दिखाने वाली हिन्दुजा समूह ने भी बोली नहीं जमा कराया है। समाधान पेशेवर आशीष छावछारिया इन तीनों अभिरुचि पत्रों की समीक्षा करेंगे। पिछले महीने छावछारिया ने एयरलाइन में हिस्सेदारी की बिक्री के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित किया था। नकदी संकट के कारण जेट एयरवेज की सेवाएं अप्रैल के मध्य से निलंबित हैं।
 

एक नजर में जेट का सफर

जेट एयरवेज की स्थापना पहली अप्रैल 1992 को नरेश गोयल के पुत्र निवाण व पुत्री नम्रता गोयल की कंपनी टेलविंड्स द्वारा की गई थी।

इसने 5 मई, 1993 को मुंबई व अहमदाबाद से एयर टैक्सी ऑपरेटर के तौर पर अपने ऑपरेशंस शुरू किए। 12 मई, 1994 को जेट एयरवेज के सारे शेयर टेलविंड्स का ट्रांसफर कर दिए गए। टेलविंड्स में उस समय नरेश गोयल की इक्विटी 60 फीसद, जबकि गल्फ एयर और कुवैत एयर की 20-20 फीसद थी। 

14 जनवरी, 1995 को इसे शेड्यूल्ड एयरलाइन का दर्जा मिला। इसकी पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 2004 को दिल्ली से काठमांडू के लिए हुई थी। 2007 में इसने एयर सहारा को खरीद लिया और उसे जेटलाइट नाम दिया। 2008 में जेटलाइट का जेट एयरवेज में विलय कर दिया।

नवंबर, 2013 में कंपनी ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एयरलाइन एतिहाद एयरवेज के हाथों 24 फीसद इक्विटी बेचने का निर्णय लिया। 

अक्टूबर, 2017 तक जेट एयरवेज देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बनी हुई थी। इसके पास 23,000 कर्मचारियों के अलावा 124 विमानो का विशाल बेड़ा था। कंपनी देश-विदेश के 52 शहरों के लिए उड़ाने संचालित कर रही थी। वित्त वर्ष 2017-18 में जेट एयरवेज 252 अरब डॉलर के राजस्व के साथ 6.3 अरब डॉलर के लाभ में थी। 

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