डोकलाम विवाद से सबक लेते हुए इंडो-तिब्बतन बोर्डर पुलिस (ITBP) बॉर्डर वाले इलाके में जल्द ही एक एयर विंग स्थापित करने जा रही है. मुख्य रूप से यह विंग पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करेगी. यह विंग सीमाई इलाकों में पीएलए के किसी नए सैन्य दस्ते को आगे बढ़ने और उनकी निर्माण गतिविधियों को समय रहते हुए रोक सकेगी.
दो इंजन वाला होगा विमान
शुरुआत के लिए, दो इंजन वाले हेलिकॉप्टरों को खरीदा जा रहा है जिन्हें रेकी के लिए उपयोग किया जाएगा. इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल युद्ध दल के आने जाने के लिए, शहीद हुए सैनिकों को ले जाने के लिए, चोटिल और बीमार जवानों को ले जाने के लिए, जवानों तक राशन पहुंचाने के लिए आदि के लिए किया जाएगा. यह हिमालय में 16000-18000 फीट तक उड़ान भर सकता है.
क्या काम हैं ट्वीन इंजन हेलिकॉप्टर का ?
इनको खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बता दें कि इन हेलिकॉप्टरों में ऑपरेशनल अनिवार्यता के लिए कुछ खास फीचर दिए होंगे. जुड़वां (ट्वीन) इंजन हेलिकॉप्टरों एक बार में 7-8 जवानों को ढो सकता है. हथियार, गोलाबारूद और बम को भी युद्ध स्थानों तक पहुंचा सकता है. यह लगातार 2 घंटे तक बिना ईंधन भरे उड़ सकता है. यह रात के अंधियारे में भी उड़ने में सक्षम है. इसमें जवानों को चलते विमान से नीचे लुढ़कने या उतरने के लिए भी खास फीचर है. राशन को जवानों तक पहुंचाने की भी सुविधा इसमें है. आईटीबीपी डायरेक्टर जनरल आर. के. पचानंद इस विंग को कमांड करेंगे.
चीन पर रखेगा नजर
सूत्रों के अनुसार, आईटीबीपी हेलिकॉप्टरों का नियंत्रण इसके बेस चंडीगढ़ और गुवाहाटी में बोरझार से होगा.
आपको बता दें कि यह इलाका लगभग चीनी सीमा (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल उत्तराखंड, सिक्किम) को कवर करता है. जिसकी लम्बाई लगभग 3,488 किलोमीटर है.
सरकार ने आईटीबीपी से कहा कि पायलेट और हेलिकॉप्टर क्रू ऐसी हों जो बॉर्डर से भली-भांति परिचित हों और एलएसी व आईबी को किसी भी परिस्थिति में क्रॉस ना करें.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यह कदम बॉर्डर पर चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए उठाया गया है.
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