भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा रेंज (SHAR) से साउंडिंग रॉकेट RH-60 को लांच किया है। इसरो इस रॉकेट लांच से न्यूट्रल विंड और प्लाज्मा गतिशीलता में व्यवहारिक भिन्नताओं का अध्ययन करेगा। ISRO ने अपने आधिकारिक अकाउंट ने ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी। इसरो ने लिखा- ‘श्रीहरिकोटा रेंज (SHAR) में आज तटस्थ हवाओं( न्यूट्रल विंड) और प्लाज्मा डायनामिक्स में एटिट्यूडिनल वेरिएशन का अध्ययन करने के लिए साउंडिंग रॉकेट (RH-560) लांच किया गया।’
इसरो के अनुसार, ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्रों की जांच के लिए और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए इस्तेमाल किए जाने एक या दो चरण वाले ठोस रॉकेट हैं।इसरो ने कहा कि वे लांच किए गए वाहनों और उपग्रहों में उपयोग के लिए नए घटकों या उप-प्रणालियों के प्रोटोटाइप का परीक्षण करने या साबित करने के लिए आसानी से किफायती प्लेटफ़ॉर्म के रूप में भी काम करते हैं। इसरो ने 1965 से स्वदेशी रूप से निर्मित लगने वाले रॉकेट लांच करना शुरू कर दिया था और इसके बाद ठोस प्रणोदक प्रौद्योगिकी(solid propellant technology) में अनुभव के साथ बहुत अधिक माहिर हो गया है।
न्यू स्पेस इंडिया करेगी 10000 करोड़ रुपये का निवेश
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की व्यावसायिक इकाई न्यू स्पेस इंडिया लि. (एनएसआईएल) ने शुक्रवार को कहा कि वह कामकाज बढ़ाने के लिए अगले पांच साल में करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इस दौरान उसे करीब 300 अतिरिक्त लोगों की भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी। कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेश्क जी नारायणन ने बंगलुरू में संवाददाताओं से कहा कि एनएसआईएल इक्विटी और कर्ज के जरिये सालाना 2,000 करोड़ रुपये जुटाएगी।
केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आने वाली कंपनी ने 28 फरवरी को अपनी पहली वाणिज्यिक मिशन की शुरूआत की। इसके तहत ब्राजील का उपग्रह अमेजोनिया-1 को श्रीहरिकोटा से कक्षा में स्थापित किया गया। नारायणन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल से सालाना करीब 2,000 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी।