युद्ध के सिकंजे में 'अज़रबैजान और आर्मीनिया' अज़ेरी सेना ने नागोर्नो-काराबाख़ पर कब्जे का दावा किया

युद्ध के सिकंजे में ‘अज़रबैजान और आर्मीनिया’ अज़ेरी सेना ने नागोर्नो-काराबाख़ पर कब्जे का दावा किया

अजरबैजान की सेना ने दावा किया है कि उन्होंने नागोर्नो-काराबाख के दूसरे सबसे बड़े शहर शुशा पर कब्ज़ा कर लिया है, हालांकि आर्मीनिया ने इसे खारिज कर दिया है. उधर आर्मीनिया ने आरोप लगाया है कि अजरबैजान की सेना सीरियाई लड़ाकों का इस्तेमाल कर रही है.
अज़रबैजान के राष्ट्रपति ने कहा है कि नागोर्नो-काराबाख़ के इलाक़े में एक अहम शहर पर उन्होंने कब्ज़ा कर लिया है. रविवार को टेलिविज़न पर प्रसारित एक संदेश में राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव ने कहा कि शुशा नाम के शहर को अज़ेरी सेना ने अपने कब्ज़े में ले लिया है. आर्मीनियाई भाषा में इस शहर का नाम शुशी है. हालांकि आर्मीनिया ने अज़रबैजान के इस दावे को खारिज कर दिया है और कहा है कि लड़ाई अभी जारी है. आर्मीनिया ने आरोप लगाया है अजरबैजान की सेना कुर्द आतंकियों और सीरियाई लड़ाकों को भाड़े पर लाकर ये जंग लड़ रही है.

बता दें कि इस विवादित इलाक़े में जारी संघर्ष के बीच ये शहर अज़रबैजान के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. नागोर्नो-काराबाख़ 1,700 वर्ग मील का पहाड़ी इलाक़ा है जो सोवियत संघ के विघटन से पहले स्वायत्त क्षेत्र बन गया था और अज़रबैजान का हिस्सा था. पारंपरिक तौर पर यहां ईसाई आर्मीनियाई और तुर्क मुसलमान रहते हैं. इस इलाक़े को लेकर आर्मीनिया और अज़रबैजान तीन दशक पहले भी संघर्ष में उलझ चुके हैं. उसके बाद दोनों के बीच संघर्षविराम तो हुआ लेकिन किसी तरह का शांति समझौता नहीं हो सका.

सितंबर में दोनों देशों में बीच एक बार फिर हिंसा शुरू हो गई और इसके लिए दोनों ने एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं. अजरबैजान ने आर्मीनिया पर तुर्की के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन PKK के हजारों आतंकवादियों की मदद लेने का आरोप लगाया है. अजरबैजान के पहले उपराष्ट्रपति के सहायक एल्चिन अमीरबयोवके मुताबिक आर्मीनिया से निपटने के लिए तुर्की या पाकिस्‍तान या सीरियाई आतंकवादियों की जरूरत नहीं है. अमीरबयोव ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब अजरबैजान पर आर्मीनिया नगोर्नो-काराबाख की जंग में तुर्की समर्थित सीरियाई आतंकवादियों के इस्‍तेमाल का आरोप लग रहा है.

नागोर्नो-काराबाख़ की राजधानी स्तेप्नाकियर्त (ज़िसे अज़रबैजान में ख़ानकेन्दी के नाम से जाना जाता है) के ऊपर की तरफ मौजूद पहाड़ी पर शुशा शहर मौजूद है. ये स्तेप्नाकियर्त से आर्मीनिया जा रही सड़क के किनारे बसा है. अगर ये शहर अज़रबैजान के कब्ज़े में आ जाता है तो यहां से स्तेप्नाकियर्त पर हमले करना अज़ेरी सेना के लिए बहुत आसान हो जाएगा. अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव ने कहा है कि शुशा की आज़ादी का दिन अज़रबैजान के लोगों के इतिहास में लिखा जाएगा. नागोर्नो-काराबाख़ पर अज़रबैजान के कब्ज़े के अपने वादे को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हमें कोई ताकत रोक नहीं सकती.

कुछ दिन पहले बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा था कि अब आर्मीनिया के पास अधिक दिन नहीं बचे हैं. आर्मीनिया ने शुशा पर कब्ज़े के अज़रबैजान के इस दावे को झूठा बताया है. आर्मीनिया रक्षा मंत्रायल के अधिकारी आर्तस्रन होवानिस्यान ने अपने फ़ेसबुक पन्ने पर लिखा, शुशी में लड़ाई अभी जारी है, इंतज़ार करें और हमारे सैनिकों पर भरोसा रखें. नागोर्नो-काराबाख़ के स्वघोषित राष्ट्रपति अरायिक हारुत्युन्यान के एक विदेश नीति सलाहकार ने बीबीसी को बताया, हम ये कह सकते हैं कि फिलहाल शुशी जंग का मैदान बन हुआ है, वहां पर अज़रबैजान की सेना है और काराबाख़ की सेना है. हम इलाक़े की एक-एक घर के लिए लड़ रहे हैं.अज़रबैजान की घोषणा से पहले आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता शूशान स्टेपन्यान ने लिखा था, आज की रात शुशी में सबसे भयंकर लड़ाई हो रही है. उन्होंने लिखा कि इस लड़ाई में अज़रबैजान के कई सैनिकों की जान गई है, उनके कई टैंक और गाड़ियां घ्वस्त हो चुके हैं.

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