पद्मश्री के लिए चुने गए आइआइटी गांधीनगर के निदेशक प्रोफेसर सुधीर के जैन का मनाना है कि देश को वैज्ञानिक, टेक्नोक्रेट, शिक्षाविद् व ब्यूरोक्रेट देने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के छात्रों को पढ़ाई से पहले ताजगी भरा माहौल देना चाहिए। कहा, आइआइटी गांधीनगर ने इसकी पहल करते हुए पांच हफ्ते का फाउंडेशन कोर्स शुरू किया है। इसमें पढ़ाई के बजाय खेलकूद, गीत-संगीत, नाटक, कहानी, किस्से आदि गतिविधियां होती हैं। उन्होंने आइआइटी कानपुर में आयोजित स्वागत समारोह के बाद पत्रकारों से अपने अनुभव साझा किए।
देश के कई संस्थानों ने शुरू किया कोर्स
लंबे समय तक आइआइटी कानपुर में अध्यापन कार्य करने वाले प्रो. सुधीर ने बताया कि फाउंडेशन कोर्स को नजीर मानकर अन्य आइआइटी, एनआइटी और ट्रिपल आइटी समेत देश के तमाम तकनीकी संस्थानों ने तीन सप्ताह का कोर्स शुरू कर दिया है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने भी ऐसे कोर्स शुरू कराने की गाइडलाइन जारी की है। उन्होंने बताया कि आइआइटी गांधीनगर में नेतृत्व का अधिकार छात्रों को दे रखा है। समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी सभी का समाधान छात्र ही करते हैं। इसी का परिणाम है कि 11 वर्ष के कार्यकाल में कभी भी कोई मामला नहीं उलझा न ही कोई कोर्ट केस हुआ।
छात्रों को भेजते हैं देश भ्रमण पर
प्रो. जैन ने बताया कि आइआइटी गांधीनगर के छात्रों को देश के बारे में जानने के लिए 42 दिन के भ्रमण पर भेजा जाता है। इसके लिए प्रत्येक छात्र को 38 हजार रुपये दिए जाते हैं। कम छह राज्यों का भ्रमण करना अनिवार्य होता है।
भवन निर्माण में बचाए 60 करोड़
भूकंपरोधी नई तकनीक विकसित करने वाले प्रो. जैन ने बताया कि आइआइटी गांधीनगर में 570 करोड़ रुपये की लागत से बन रही इमारत को नई तकनीक से 510 करोड़ रुपये में तैयार कराकर 60 करोड़ रुपये बचाए थे। तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इसकी तारीफ की थी। उन्होंने आइआइटी कानपुर में भूकंप रोधी इमारतों के निर्माण की जानकारी देने व तकनीकी कालेजों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए आइआइटी कानपुर में नेशनल इंफोर्मेटिक सेंटर व स्ट्रक्चरल इंजीनियर फोरम ऑफ इंडिया का गठन किया है।