खत्म होगा यूपी-हरियाणा का जमीन विवाद, करनाल में निर्माण प्रक्रिया शुरू

हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर किसानों का जमीन विवाद पूरी तरह खत्म करने के लिए यमुना नदी में बाउंड्री पिलर बनाए जाएंगे। यह पिलर दीक्षित अवार्ड के तहत बनेंगे। हरियाणा में यमुना के साथ लगते छह जिलों में यह पिलर बनेंगे। इसके लिए निशानदेही सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से की जाएगी। एसओआई का सर्वे का कार्य जारी है, करनाल की निशानदेही हो चुकी है। इसी के आधार पर पीडब्ल्यूडी ने पिलर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

करनाल के अलावा यमुना नदी में यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल जिले सहित जहां से यमुना नदी निकल रही है, वहां पर बाउंड्री पिलर बनाए जाने हैं। अधिकारियों के अनुसार, पिलर लगाने से दोनों राज्यों की सीमा पर बसे गांव के लोगों में जमीन को लेकर आपसी झगड़े नहीं होंगे। वहीं काफी हिस्सा खनन का भी आता है, उसे लेकर होने वाले विवादों पर भी लगाम लगेगी। तीसरा, यमुना नदी हर साल अपना मार्ग बदलती रहती है, पिलर लगाने के बाद दोनों राज्यों के बीच सीमांकन के मसले का स्थाई हल हो जाएगा।

सबसे पहले वर्ष 2007 में दोनों राज्यों की यमुना में बाउंड्री निर्धारण के लिए पिलर लगाए गए थे, जिनमें से बहुत से पिलर बह गए। इसके बाद पायलट प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2021 में भी सर्वे ऑफ इंडिया की निशानदेही पर कुछ नए पिलर बने थे। अब पूरी तरह से सभी छह जिलों में पिलर लगाए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन संदीप के अनुसार, करनाल जिले में पिलर बनाने के लिए करीब 80 लाख रुपये खर्च होंगे। इसका टेंडर जारी कर दिया है।

यह है दीक्षित अवार्ड, जिस आधार पर चल रहा काम

दोनों राज्यों की सीमाओं को बांटती यमुना में हदबस्त तय करने के लिए वर्ष 1974 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री उमाशंकर दीक्षित की ओर से एक बिल का मसौदा तैयार किया गया था, जिस पर वर्ष 1975 में दोनों राज्यों को अमल करने के लिए कहा गया ताकि यमुना और इसकी अंदर की जमीन पर खेतीबाड़ी को लेकर आसपास बसे गांवों के लोगों में विवाद न हो। पिलर लगाने का काम दीक्षित अवार्ड-1974 को आधार मानकर किया जाएगा।

लंबे समय तक वजूद में रहेंगे पिलर, उफान में नहीं बहेंगे

ये पिलर लंबे समय तक वजूद में रहें, इसका डिजाइनिंग में विशेषज्ञों ने खास ध्यान रखा है। जितना पिलर नदी में ऊंचाई पर रहेगा, उतना ही एक तिहाई हिस्सा जमीन के अंदर भी गढ़ा होगा। प्रत्येक पिलर की ऊंचाई 21.5 मीटर रखी गई है। पानी के अंदर लगने वाले पाइल पिलर होने के कारण यह 17 मीटर नीचे जमीन में रहेगा। ऑड-ईवन में पिलर का ऑड नंबर हरियाणा और ईवन यूपी के लिए है।

अधिकारी के अनुसार

यमुना नदी में बाउंड्री पिलर बनाए जाने हैं। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच यमुना में सीमा की सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से निशानदेही की जाएगी। इसे लेकर सर्वे भी किया जा रहा है। करनाल में निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। -मनीश यादव, डीआरओ, करनाल।

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