अपनी मांगों को लेकर पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच का एलान किया था। हरियाणा सरकार ने उन्हें रोकने के लिए अपने बॉर्डर सील कर दिए थे। इस दौरान कई बार किसानों और पुलिस में झड़प हुई। खनौरी बॉर्डर पर गोली लगने से बठिंडा के नौजवान किसान शुभकरण की मौत हो गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट पहुंचा था।
हरियाणा व पंजाब की सरहद पर 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण सिंह की मौत की जांच के लिए एक रिटायर हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। न्यायिक जांच के पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए चुनौती दी है।
हरियाणा सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सरकार इस मामले में दर्ज एफआईआर में जांच कर रही है और पंजाब पुलिस से घटना से संबंधित रिकॉर्ड मांगा जा चुका है। जब मामले की जांच करने के लिए हरियाणा पुलिस तैयार है, तो जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। इस अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है।
हाईकोर्ट ने 7 मार्च को आदेश दिया था कि शुभकरण की मौत सहित अन्य पहलुओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जाए, जिसकी अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर करेंगी। उनके साथ सहयोग के लिए हरियाणा के एडीजीपी अमिताभ सिंह ढिल्लों व पंजाब के एडीजीपी प्रमोद बन को कमेटी का हिस्सा बनाने का निर्देश दिया गया था।
कमेटी पर यह तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि शुभकरण की मौत हरियाणा के क्षेत्राधिकार में हुई थी या पंजाब के क्षेत्र में, मौत का कारण क्या था और किस हथियार का इस्तेमाल किया गया था। इसके साथ ही आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग परिस्थितियों के अनुरूप था या नहीं।