चंडीगढ़ः मनोहर लाल के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद हरियाणा के नए सीएम नायब सैनी ने शपथ ले ली है। लेकिन नए सीएम नायब सैनी छह महीने से ज्यादा मुख्यमंत्री नहीं रह सकते हैं। क्योकि वो विधानसभा के सदस्य यानी विधायक नहीं हैं। इसके चलते वो 11 सितंबर 2024 तक ही सीएम बने रह सकते हैं, जबकि 14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल इस वर्ष 3 नवंबर 2024 तक है।
“पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि वर्तमान में नायब सैनी हरियाणा विधानसभा के सदस्य अर्थात विधायक नहीं है इसलिए वह बगैर विधायक बने अधिकतम आगामी 11 सितम्बर 2024 अर्थात 6 महीने तक मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते हैं। भारत देश के संविधान के अनुच्छेद 164(4) का हवाला देते हुए हेमंत ने बताया कि उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि कोई मंत्री (मुख्यमंत्री) जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधान-मंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।
नवंबर से पहले ही हो सकती विधानसभा भंग
उन्होंने आगे बताया कि चार माह पूर्व 3 नवंबर 2023 को मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा के कार्यकाल के चार साल पूरे हो गए थे। 4 नवंबर 2019 को प्रदेश की विधानसभा का पहला अधिवेशन (सत्र) बुलाया गया था। संविधान के अनुच्छेद 172 के अनुसार, प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधानसभा, यदि पहले ही विघटित (भंग) नहीं कर दी जाती है तो अपने प्रथम सत्र के लिए नियत तिथि से पांच साल तक बनी रहेगी और पांच साल की उक्त अवधि की समाप्ति के साथ ही वह विधानसभा भंग होगी।
बहरहाल, मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल इस वर्ष 3 नवंबर 2024 तक है, हालांकि इसे समय से पहले ही भंग किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्रदेश कैबिनेट (मंत्रिमंडल) निर्णय लेने के लिए सक्षम है जिस पर राज्यपाल की स्वीकृति से विधानसभा नियत 5 वर्ष की समय अवधि से पहले ही भंग हो जाती है। हेमंत ने आगे बताया कि 3 नवंबर 2023 के बाद यानी वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा के चार साल के कार्यकाल के पूरा होने के बाद, यदि कोई विधानसभा सीट किसी मौजूदा विधायक की निधन, त्यागपत्र या उसकी अयोग्यता के कारण खाली हो जाती है एवं रिक्त घोषित कर दी जाती है तो भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उस रिक्त विधानसभा सीट पर कोई उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है क्योंकि 3 नवंबर 2023 की तारीख से उस ऐसे पूर्ववर्ती विधायक का शेष बचा कार्यकाल एक वर्ष से कम समय का होगा एवं लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151(ए) के अंतर्गत ऐसी रिक्त सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव नहीं कराया जाता है जिस पर पूर्ववर्ती विधायक का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम होता है।