हिसार : सिविल अस्पताल में आठ साल से चल रहा OST सेंटर; 950 युवाओं ने कराया पंजीकरण

हिसार नागरिक अस्पताल के ओएसटी सेंटर में नशा छोड़ने की दवा लेने के लिए आ रहे युवाओं में से आठ साल में पंजीकृ़त करीब 26 युवाओं की मौत हो चुकी है। ये आंकड़ा 2016 से लेकर अब तक का है। ओएसटी सेंटर पर नशा छोड़ने वाले 950 लोगों का पंजीकरण कराया गया है।

नशा नाश की जड़ है। नशे की गिरफ्त में फंसे युवा इस बात को जितनी जल्दी समझ लें, जिंदगी की गुंजाइश उतनी ही अधिक है। समय बीतने के बाद नशा छोड़ने की चेतना आ भी गई तो बचना मुश्किल है। ओएसटी सेंटर पंजीकृत 26 युवाओं की मौत इसका जीवंत उदाहरण है। इन युवाओं ने नशे की दलदल से निकलने के लिए कदम तो बढ़ाया लेकिन देर से जीवन का महत्व समझने के कारण इनकी सांसें मझधार में ही थम गईं। हालांकि इतनी मौतों के बावजूद जिले में नशा कारोबारी बेखौफ होकर कारोबार कर रहे हैं।

नागरिक अस्पताल के ओएसटी सेंटर में नशा छोड़ने की दवा लेने के लिए आ रहे युवाओं में से आठ साल में पंजीकृ़त करीब 26 युवाओं की मौत हो चुकी है। ये आंकड़ा 2016 से लेकर अब तक का है। ओएसटी सेंटर पर नशा छोड़ने वाले 950 लोगों का पंजीकरण कराया गया है लेकिन इनमें से केवल 280 युवा ही नशा छोड़ने की दवा लेने आ रहे हैं, बाकी नशे की लत में गिरफ्त हैं। ओएसटी सेंटर में नशा छोड़ने के लिए अपना नाम तो पंजीकृत करवा लेते हैं, लेकिन दवा लेने नहीं आते।

नागरिक अस्पताल में चल रहे ओएसटी सेंटर के चिकित्सक मोहित पाठक ने बताया कि सेंटर पर नशा छोड़ने की दवा लेने आ रहे लोगों में से ज्यादातर इंजेक्शन से नशा करते थे। सेंटर पर रोजाना सुबह के समय नशा छोड़ने वाले युवा दवा लेने आते हैं। इनमें से कुछ युवा तो ऐसे हैं कि जो दवा भी ले जाते हैं और बाहर जाने के बाद दोबारा से नशा करने लग जाते हैं। सेंटर पर 950 युवाओं ने नशा छोड़ने के लिए अपना नाम लिखवाया हुआ है, इनमें से 280 युवा ही दवा लेने आ रहे हैं। जो शराब का नशा करते हैं वे दवा लेने के बाद मुख्य धारा में लौट रहे हैं, लेकिन जो इंजेक्शन के जरिये नशा करते हैं वे मुश्किल से नशा छोड़ पा रहे हैं। सेंटर में पंजीकृत 26 युवाओं की अभी तक नशे के कारण मौत हो चुकी है।

आंबेडकर बस्ती है हॉट स्पॉट
आंबेडकर बस्ती नशा बेचने वालों का हाॅट स्पॉट है। नशा छोड़ने के उद्देश्य से आने वाले युवा बताते हैं कि वे आंबेडकर बस्ती से नशा खरीदते हैं और पास में ही झाड़ियों में बैठकर इंजेक्शन के जरिये नशा करते थे। दवा लेने वाले युवाओं की जब काउंसिलिंग होती है तो उनका कहना है कि बस्ती में आसानी में नशा मिल जाता है। अब वे परिवार के साथ जीना चाहते हैं।

नशे के बिना नहीं रहा जाता
सेंटर पर दवा लेने आए एक युवक ने बताया कि वह काफी समय से नशा कर रहा है। शहर में कई जगह जहां पर नशा आसानी से मिल जाता है। यहीं से युवा नशा खरीदते हैं। नशे की लत पड़ने के बाद नशा न मिलने पर शरीर में बेचैनी होने लगती है। सारा शरीर दर्द के मारे तड़पने लगता है। ऐसा लगता है कि नशा नहीं मिला तो जी नहीं पाऊंगा। ऐसे में नशा पाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है।

नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी है। युवाओं को लगातार जागरूक किया जा रहा है। गांवों में मौजिज लोगों के सहयोग से नशा करने और बेचने वालों पर निगरानी रखी जा रही है। नशे के कारोबार को पनपने नहीं दिया जाएगा। – मोहित हांडा, एसपी, हिसार।

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