हरियाणा की नीलोखेड़ी विधान सभा क्षेत्र की बात करें तो यहां के मतदाताओं ने राजनीतिक दलों के मोहपाश में न फंसकर व्यक्तिगत संबंधों को अधिक तरजीह दी है। यही कारण रहा कि इस सीट से पांच बार आजाद उम्मीदवारों ने विजयश्री हासिल की है।
हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए असंध और नीलोखेड़ी विधान सभा क्षेत्र शुरू से चुनौतीपूर्ण रहा है। स्थिति यह है कि आजादी के बाद से अब तक सिर्फ मोदी लहर के दौरान वर्ष-2014 में दोनों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2019 के चुनाव में फिर ये दोनों सीटें भाजपा के हाथ से निकल गईं। इनमें पिछले चुनाव में असंध में कांग्रेस के शमशेर सिंह गोगी और नीलोखेड़ी में आजाद प्रत्याशी धर्मपाल गोंदर ने जीत हासिल की थी।
असंध विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 2019 के चुनाव में कांग्रेस को बसपा ने कड़ी टक्कर दी थी। यहां कांग्रेस को सिर्फ 1703 मतों से जीत मिली थी, जबकि भाजपा प्रत्याशी यहां तीसरे नंबर पर रहा था। इससे पहले 2014 में मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी बख्शीश सिंह विर्क को भी बसपा ने टक्कर दी थी। भाजपा प्रत्याशी ने यहां 30723 मत लेकर 4608 मतों से जीत दर्ज की थी। वहीं इनेलो प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा था। इसी तरह 2009 के चुनाव में भी हरियाणा जनहित कांग्रेस के पंडित जिलेराम शर्मा ने 20266 मत लेकर आजाद उम्मीदवार से 3540 मतों से सीट जीती थी। भाजपा यहां चौथे स्थान पर रही थी।
दूसरी ओर, नीलोखेड़ी विधान सभा सीट की पिछले तीन चुनावों की बात करें तो 2019 में यहां आजाद प्रत्याशी धर्मपाल गोंदर 32 प्रतिशत मत लेकर चुनाव जीते थे, उन्होंने भाजपा के भगवान दास कबीरपंथी को 1962 मतों से मात दी थी। कांग्रेस के बंता राम यहां तीसरे स्थान पर रहे थे। 2014 में भाजपा के भगवान दास कबीरपंथी ने 41.94 मत लेकर इनेलो प्रत्याशी मामूराम को हराया था, मामूराम को 17.21 प्रतिशत मत मिले थे। कांग्रेस इस बार भी तीसरे स्थान पर रही थी।
2009 की बात करें तो यहां इनेलो प्रत्याशी मामूराम ने 44.51 मत लेकर कांग्रेस की मीना रानी को 16723 मतों से हराया था। दोनों विधान सभा क्षेत्रों के पिछले तीन सालों के चुनाव परिणाम को देखें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यहां लड़ाई आसान नहीं है। फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों ही दल किस नेता पर इस बार दांव खेलते हैं।
नीलोखेड़ी में निर्दलीय उम्मीदवारों पड़े हैं भारी
नीलोखेड़ी विधान सभा क्षेत्र की बात करें तो यहां के मतदाताओं ने राजनीतिक दलों के मोहपाश में न फंसकर व्यक्तिगत संबंधों को अधिक तरजीह दी है। यही कारण रहा कि इस सीट से पांच बार आजाद उम्मीदवारों ने विजयश्री हासिल की है। इस सीट से जय सिंह राणा ने चार बार जीत हासिल की, जिसमें से दो बार आजाद चुनाव जीता और दो बार कांग्रेस के टिकट पर प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़े। हालांकि लगातार दो-दो बार शिव सिंह और चंदा सिंह ने भी चुनाव जीता है। इसमें चंदा सिंह ने दोनों बार आजाद चुनाव लड़कर जीत हासिल की और शिव सिंह ने एक बार भारतीय जन संघ और दूसरी बार जनता पार्टी के टिकट पर विजयश्री पाई।
असंध में बसपा का भी रहा है प्रभाव, इनेलो से गठबंधन का हो सकता है असर
असंध विधान सभा क्षेत्र के मतदाताओं का फैसला भी रोचक रहा है। यहां भी कृष्ण लाल ने हैट्रिक लगाई थी लेकिन तीनों बार अलग अलग राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ा था। जिसमें एक बार जनता पार्टी, दूसरी बार समता पार्टी और तीसरी बार इंडियन नेशनल लोकदल से विजयश्री हासिल की। खास बात है कि लोक दल का यहां प्रभाव रहा है, जिसमें मनफूल सिंह ने लगातार दो बार लोक दल के टिकट पर जीत हासिल की। इसके अलावा असंध सीट पर बसपा भी प्रभावी रही है। ऐसे में इनेलो से बसपा के गठबंधन का इस सीट पर असर देखना दिलचस्प होगा।
असंध विधान सभा क्षेत्र के विधायक
वर्ष विधायक पार्टी
1977 जोगीराम जनता पार्टी
1982 मनफूल सिंह इंडियन नेशनल लोकदल
1989 मनफूल सिंह इंडियन नेशनल लोकदल
1991 कृष्ण लाल जनता पार्टी
1996 कृष्ण लाल समता पार्टी
2000 कृष्ण लाल इंडियन नेशनल लोकदल
2005 राजरानी पूनम कांग्रेस
2009 जिलेराम शर्मा हरियाणा जनहित कांग्रेस
2014 बक्शीश सिंह विर्क भाजपा
2019 शमशेर सिंह गोगी कांग्रेस
नीलोखेड़ी विधान सभा क्षेत्र के विधायक
वर्ष विधायक पार्टी
1967 एस.राम भारतीय जनसंघ
1968 चंदा सिंह आजाद
1972 शिव राम भारतीय जनसंघ
1977 शिव राम जनता पार्टी
1982 चंदा सिंह आजाद
1987 जय सिंह राणा आजाद
1991 जय सिंह राणा आजाद
1996 जय सिंह राणा कांग्रेस
2000 धर्मपाल इंडियन नेशनल लोकदल
2005 जय सिंह राणा कांग्रेस
2009 मामूराम इंडियन नेशनल लोक दल
2014 भगवान दास भाजपा
2019 धर्मपाल गोंदर आजाद