विनेश फोगाट का संघर्ष: चुनौतियों को बुलंद हौसलों से मात देकर आगे बढ़ीं पहलवान

विनेश फोगाट…यह एक ऐसा नाम है जो आज हर देशवासी की जुबां पर है। हालांकि, यहां तक पहुंचने के लिए चरखी दादरी जिले के बलाली गांव निवासी होनहार बेटी ने जो कष्ट सहे हैं, उसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। विनेश ने करीब 23 साल कुश्ती को दिए। इसमें से पिछले दस साल उनके लिए स्वर्णिम रहे। अब पेरिस ओलंपिक में मिले गहरे जख्म के बाद विनेश ने कुश्ती को अलविदा कह दिया है। इससे पहले कदम-कदम पर इस बेटी के समक्ष चुनौतियां आईं, जिनसे कड़े संघर्ष के बलबूते विनेश ने पार पा लिया।

विनेश फोगाट जब नौ वर्ष की थीं तब उन्होंने पिता राजपाल फोगाट को खो दिया। इसके बाद ताऊ एवं द्रोणाचार्य अवाॅर्डी पहलवान महावीर फोगाट ने अपनी बेटियाें गीता व बबीता फोगाट की तरह विनेश को भी मिट्टी के अखाड़े में उतारा। विनेश ने न केवल पिता को खोने के दर्द से पार पाया बल्कि कुश्ती में एक के बाद एक सफलता हासिल कर अपनी पहचान बनाई।

वर्ष 2013 से लगातार वह अंततराष्ट्रीय स्तर पर देश को पदक दिलाती आ रही हैं। फिर चाहे बात कॉमनवेल्थ की हो या एशियन गेम्स की। हर जगह विनेश ने तिरंगे का मान बढ़ाकर प्रत्येक देशवासी को गौरवान्वित किया। कुश्ती कॅरिअर में विनेश को कई बार चोटों का सामना करना पड़ा। उस दौरान चिकित्सकों ने उन्हें खेल तक छोड़ने की सलाह दी। लेकिन, इस बेटी ने इस तरह ही सलाह को नजरअंदाज कर कड़ी मेहनत के बलबूते शानदार वापसी की।

ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का उनका सपना अब पेरिस में पूरा होने वाला था। लेकिन, उससे ठीक पहले 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के चलते निर्णायक बाउट से पहले उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। मंजिल के बिल्कुल पास पहुंचकर पदक उनके हाथ से फिसल गया। इससे वह इतनी आहत हुईं कि उन्होंने कुश्ती छोड़ने का एलान कर दिया। हालांकि, उनके इस फैसले से परिजनों के अलावा प्रत्येक देशवासी स्तब्ध है।

ये हैं विनेश की अंततरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां

कुश्ती संघ के खिलाफ हुए आंदोलन का रहीं प्रमुख चेहरा
विनेश फोगाट ने साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के साथ मिलकर वर्ष 2023 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। उस दौरान कुश्ती संघ पदाधिकारियों पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद देश के सभी वर्गाें के लोगों का उन्हें भरपूर समर्थन मिला था। उनके आंदोलन का ही परिणाम था कि बृजभूषण को अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा।

हालांकि, बृजभूषण के चहेते संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही आंदोलन में विनेश का साथ देने वाली साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का एलान कर दिया। वहीं, बृजभूषण पर आरोप तय होने के बाद सजा नहीं मिली तो विनेश ने भी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने का एलान कर दिया था। विनेश फौगाट कुश्ती संघ पदाधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में से प्रमुख चेहरा थीं।

लगातार तीन ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान
विनेश ने 2016 रियो खेलों में ओलंपिक में पदार्पण किया था। 2016 रियो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में घुटने की चोट से उनकी मेडल की उम्मीद टूट गई थी। घुटने में चोट लगने के कारण वह 48 किलोग्राम के क्वार्टरफाइनल में चीन की सुन यानान से हार गईं थीं। इसके बाद वर्ष 2020 में टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में 53 किग्रा वर्ग में वेनेसा कलादजिंस्काया से हार मिली थी। अब वर्ष 2024 में उन्होंने पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। विनेश लगातार तीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं।

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