माना जा रहा है कि पंजाब की सीमा से लगे होने के कारण किसानों की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को यहां भुगतना पड़ा।
लोकसभा चुनाव में 10 साल बाद अंबाला सीट पर कांग्रेस ने वापसी की है। यहां कांटे की टक्कर में कांग्रेस के वरुण चौधरी ने भाजपा की बंतो कटारिया को 49036 मतों से शिकस्त दी है। माना जा रहा है कि पंजाब की सीमा से लगे होने के कारण किसानों की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को यहां भुगतना पड़ा। वहीं कांग्रेस की ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत पकड़ और पिछले 10 साल के कार्यकाल में अपेक्षाकृत कार्य नहीं होने का खामियाजा भी भाजपा को उठाना पड़ा है। शायद यही कारण है कि क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की रैली के बावजूद परिणाम भाजपा के खिलाफ गया।
अंबाला लोकसभा सीट पर पिछले दाे बार के लोकसभा चुनावों में भाजपा का दबदबा रहा था। वर्ष 2014 व 2019 में लगातार भाजपा के रतन लाल कटारिया ने यहां से जीत दर्ज की थी। अहम बात यह है कि पिछले चुनाव में जिस सीट पर रतन लाल कटारिया ने करीब साढ़े तीन लाख मतों से कांग्रेस की दिग्गज कुमारी सैलजा को शिकस्त दी थी। उस सीट पर भाजपा को शिकस्त खानी पड़ी। स्थिति यह रही कि सूबे के सीएम नायब सिंह सैनी, परिवहन राज्य मंत्री असीम गोयल, मंत्री कंवर पाल गुर्जर के हलकों से भी भाजपा को बढ़त नहीं मिल सकी।
जीत की वजह
- कांग्रेस में गुटबाजी के बावजूद यहां कांग्रेसी नेता एक मंच पर आए और एकजुट हो दम दिखाया
- वरुण का मिलनसार व्यवहार, और विस क्षेत्र में प्रदेश की आवाज बनने का लाभ मिला
- पिता फूलचंद मुलाना के नाम का भी अंबाला लोकसभा में फायदा मिला
हार का कारण
- किसान आंदोलन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ माहौल बनना
- पिछले 10 साल के कार्यकाल में अपेक्षाकृत कम विकास कार्य होना
- पूर्व सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद सहानुभूति फैक्टर काम नहीं आया