रायकोट के पूर्व अकाली विधायक जत्थेदार रंजीत सिंह तलवंडी का हजारों नम आंखों के बीच उनके पैतृक गांव तलवंडी राय में अंतिम संस्कार हुआ। 67 वर्षीय रंजीत सिंह तलवंडी का पिछले दो महीने से चंडीगढ पीजीआई में इलाज चल रहा था। जहां मंगलवार यानी पांच दिसंबर की शाम पांच बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
बुधवार को उनकी अंतिम यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पडा। तमाम राजनीतिक दल, किसान और समाजसेवी संगठन के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की।
इस दौरान भाई रणजोध सिंह के कीर्तनी जत्थे ने वैरागमयी कीर्तन किया और ज्ञानी हरदीप सिंह की अरदास के बाद जत्थेदार रंजीत सिंह तलवंडी के छोटे भाई जत्थेदार जगजीत सिंह तलवंडी, पत्नी सरताज कौर, बेटी अंजुमन कौर और भांजे गुरजीत सिंह समेत परिवार के सदस्यों ने सामूहिक तौर पर मुखाग्नि दी।
इससे पहले रायकोट के तहसीलदार विश्वजीत सिंह सिद्धू, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, सुखदेव सिंह ढींडसा, परमिंदर सिंह ढींडसा, बिक्रमजीत सिंह खालसा, मनतार सिंह बराड़, जगदीप सिंह चीमा, संता सिंह उमेदपुरी, रायकोट के आप विधायक हाकम सिंह ठेकेदार, राणा गुरजीत, विधायक मनप्रीत अयाली, जगदीश गरचा, गुरदेव लापरां और कृष्ण कुमार बावा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
बता दें कि अकाली दल के संस्थापकों में से एक जत्थेदार शांगा सिंह के पोते और लौह पुरुष की उपाधि से विख्यात जत्थेदार जगदेव सिंह तलवंडी के बड़े बेटे रंजीत सिंह तलवंडी ने 2002 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हरमोहिंदर सिंह प्रधान को हराया था। तब वह अकाली दल बादल की टिकट से चुनाव लड़े थे। बादल परिवार से नाराजगी के चलते रंजीत सिंह तलवंडी ने 2021 में सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी अकाली दल संयुक्त का दामन थाम लिया था और महासचिव पद पर थे।
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