वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि जीएसटी से टैक्स रेट में कमी आई है। इससे अनुपालन एवं टैक्सपेयर्स बेस को लगभग दोगुना करने में मदद मिली। मंत्रालय के मुताबिक देश में अप्रत्यक्ष कर से जुड़े असेसीज 1.24 करोड़ हो गए हैं। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि पर सिलसिलेवार ट्वीट कर वित्त मंत्रालय ने कहा कि GST लागू होने से पहले वैल्यू एडेड टैक्स (VAT), उत्पाद एवं बिक्री कर को मिलाकर लोगों को 31 फीसद तक का टैक्स देना पड़ता था। इसी कड़ी में 40 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले कारोबारियों को जीएसटी से छूट देने की घोषणा का भी उल्लेख किया गया है। पहले यह सीमा 20 लाख रुपये तक की थी।
इसके अलावा जिन कारोबारियों की वार्षिक आमदनी 1.5 करोड़ रुपये तक है, वे कम्पोजिशन स्कीम को चुन सकते हैं। पूर्व में 75 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले कारोबारी ही कम्पोजिशन स्कीम को चुन सकते थे। वित्त मंत्रालय की ओर से किए गए ट्वीट में विनिर्माताओं के लिए कम्पोजिशन रेट में कमी का भी उल्लेख है।
वित्त मंत्रालय की ओर से किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा गया है कि जीएसटी को लागू किए जाने के बाद से अधिकतर चीजों पर लगने वाले टैक्स रेट में कमी की गई है। मंत्रालय ने कहा है कि अब 28 फीसद के टैक्स स्लैब के अंतर्गत केवल विलासिता से जुड़ी चीजें एवं अहितकर वस्तुएं ही रह गए हैं। इस टैक्स स्लैब के अंतर्गत 230 वस्तुएं थी लेकिन करीब 200 वस्तुओं को कम टैक्स वाले स्लैब में शिफ्ट कर दिया गया।
मंत्रालय ने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि निर्माण क्षेत्र एवं खासकर आवासीय सेक्टर को बड़ी राहत दी गई है। इसे अब पांच फीसद के टैक्स स्लैब के अंतर्गत रखा गया है। सस्ते मकानों पर जीएसटी की दर अब एक फीसद रह गई है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक टैक्सपेयर्स का बेस करीब दोगुना हो गया है। जीएसटी लागू होने के समय असेसीज की संख्या करीब 65 लाख थी जो अब बढ़कर 1.24 करोड़ तक पहुंच गई है।
अब जीएसटी से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटेड हो गई है। अब तक 50 करोड़ रिटर्न ऑनलाइन फाइल किए जा चुके हैं और 131 करोड़ ई-बिल जेनरेट हुए हैं।