NEW DELHI: देशभर में एक जुलाई से लागू होने के लिए तैयार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में प्रस्तावित पांच फीसदी के कर का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल के मिठाई कारोबारियों ने सोमवार को नई कर प्रणाली में कर से पूरी तरह छूट दिए जाने की मांग की है।
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विरोध कर रहे मिठाई उत्पादकों का कहना है कि जीएसटी में प्रस्तावित पांच फीसदी का कर उन पर लगाया गया तो छोटे-मोटे हलवाई कारोबार नहीं कर सकेंगे और राज्य में 50,000 करोड़ रुपये का यह कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। पश्चिम बंगाल मिष्ठान्न व्यवसाय समिति के महासचिव आर. के. पॉल ने यहां पत्रकारों से कहा, “हम जीएसटी में प्रस्तावित पांच फीसदी कर से पूरी तरह छूट की मांग कर रहे हैं।
हम करीब 20 साल पहले बिक्री कर चुकाते थे, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया। मिठाई उत्पादकों को वैट से भी छूट दी गई है।” वह विस्तार से बताते हैं कि मिठाई उत्पादक कच्चा माल असंगठित क्षेत्र से खरीदते हैं और ऐसे में उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में कठिनाई होगी।
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उन्होंने कहा, “अधिकतर कच्चे माल की आपूर्ति करने वाले असंगठित क्षेत्र से आते हैं। वे खाता बही नहीं रखते और वे बिल भी नहीं देते। ऐसे में हम जीएसटी के तहत इनपुट क्रेडिट के लिए दावा कैसे कर पाएंगे?”उन्होंने यह भी कहा कि छोटे कारोबारियों के लिए खाता बही बनाना बेहद मुश्किल होगा। पॉल ने बताया कि इससे राज्य में 1.5 लाख मिठाई उत्पादक और 7.5 लाख कामगार प्रभावित होंगे।.jpg)
समिति के सहायक सचिव जयंत बाराट ने कहा कि राज्य सरकार मिष्टी हब तो बनाना चाहती है, लेकिन वह मिठाई उत्पादकों द्वारा उठाई जा रही मांगों पर ध्यान नहीं दे रही। उत्पादकों ने यह भी कहा कि जीएसटी के तहत दूध, छेना और पनीर पर कोई कर नहीं लगाया गया, जो मिठाई बनाने में मुख्यत: उपयोग होते हैं, लेकिन इनसे बनी मिठाई पर पांच फीसदी का कर लगाना ‘अन्यायपूर्ण’ है। अपनी मांग पूरी न होने की दशा में उन्होंने हड़ताल करने की चेतावनी भी दी।
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