GST: डीजीजीआई ने फर्जी कंपनियों के सहारे 275 करोेड़ रुपये की टैक्स चोरी का किया खुलासा

जीएसटी इंटेलीजेंस महानिदेशक (डीजीजीआई) ने सोमवार को फर्जी कंपनियों की मदद से जीएसटी चोरी का बड़ा खुलासा करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है। डीजीजीआई के अधिकारियों ने बताया कि 102 फर्जी कंपनियाें ने एक हजार से अधिक लोगों को फर्जी ई-वे बिल जारी किया, जिससे 275 करोेड़ रुपये की जीएसटी चोरी की गई। इन फर्जी कंपनियों का कारोबार 1,481 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है।

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि खुफिया जानकारी और व्यापक डेटा एनॉलिसिस के आधार पर डीजीजीआई, मेरठ इकाई ने इस सिंडिकेट का खुलासा किया है। गिरफ्तार चार लोगों में अमित कुमार झा, रोशन चौधरी, मुकेश कुमार झा और वंश प्रताप सिंह शामिल हैं। पूरे फर्जीवाड़ेे का मास्टरमाइंड अमित बताया जा रहा है। वहीं रोशन प्लेसमेंट कंसल्टेंसी फर्म में काम करता था, जो पैन, आधार, बिजली बिल, पता प्रमाण और जीएसटी पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज तैयार कराता था।

अधिकारियों के मुताबिक, केवाईसी के लिए हासिल दस्तावेज का इस्तेमाल यह लोग फर्जी कंपनियां खोलने में करते थे। मुकेश के पास बैंक खाते खोलने, नकदी प्रवाह का प्रबंधन करने और इन नकली उद्यमों के सभी वित्तीय लेनदेन की देखरेख करने की जिम्मेदारी थी। चौथे आरोपी वंश प्रताप सिंह ने गुप्त कार्यालय खोल रखा था, जहां गोपनीय तरीके से बिल, ई-वे बिल बनाना, जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और धोखाधड़ी वाली फर्मों के बिक्री-खरीद बही-खाते को बनाए रखने जैसी अहम गतिविधियां संचालित होती थीं। धोखाधड़ी के इस कारोबार के संचालन में मदद के लिए इस सिंडिकेट ने कई लोगों की भर्ती की हुई थी। फर्जी कंपनियों के खाते खुलवाने में कुछ बैंक कर्मियों की मिलीभगत के भी सुबूत मिले हैं।

कंप्यूटर, लैपटाॅप, मोबाइल जब्त
छापे के दौरान लैपटॉप, डेस्कटॉप, इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस, पैन कार्ड, आधार कार्ड, चेक-बुक, 25 से अधिक मोबाइल फोन, ओटीपी प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, शेल कंपनियों के रबर स्टैम्प सहित भारी मात्रा में साक्ष्य जब्त किए गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों को आर्थिक अपराध न्यायालय, मेरठ ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 

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