भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों इंग्लैंड के दौरे पर है। इस दौरान दोनों टीमों के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है। टीम इंडिया सीरीज में अभी 1-2 से पीछे चल रही है।
गौतम गंभीर की कोचिंग में भारतीय टीम टेस्ट फॉर्मेट में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है। टीम को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में हार मिली थी। ऐसे में गंभीर की टेस्ट कोचिंग पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं।
अलग-अलग कोचिंग का विकल्प सुझाया
पूर्व भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह का मानना है कि भारत को टेस्ट और वनडे-टी20 क्रिकेट के लिए अलग-अलग कोचिंग के विकल्प पर विचार करना चाहिए। गौतम गंभीर ने 2024 के टी20 विश्व कप के बाद भारत के कोच का पद संभाला था।
उनके कार्यकाल में वनडे और टी20 इंटरनेशनल मैचों में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। गंभीर की कोचिंग में भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी जीती। साथ ही उनके कार्यकाल के दौरान टीम ने कोई टी20I सीरीज नहीं गंवाई।
गंभीर का रिपोर्ट कार्ड
गंभीर की कोचिंग में भारतीय टीम ने 13 टी20 इंटरनेशनल मुकाबले जीते हैं। 2 में टीम को हार का सामना करना पड़ा।
इस दौरान भारतीय टीम की टक्कर श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश और इंग्लैंड से हुई।
वनडे में भारत ने 11 मैचों में 8 जीत, दो हार और एक टाई का रिकॉर्ड बनाया।
टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो गंभीर का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है।
बांग्लादेश को हराने के बाद भारत को न्यूजीलैंड ने घरेलू मैदान पर क्लीन स्वीप किया।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत को ऑस्ट्रेलिया से 1-3 से हार का सामना करना पड़ा।
भारत ने गंभीर के नेतृत्व में 13 में से केवल 4 टेस्ट जीते हैं, जिनमें से 8 हारे हैं और एक ड्रॉ रहा है।
खिलाड़ी और टीमें अलग-अलग होती हैं
इंडिया टुडे से बातचीत में हरभजन ने सुझाव दिया कि लाल गेंद और सफेद गेंद वाले क्रिकेट में अलग-अलग कोचों का इस्तेमाल करना गलत नहीं है, क्योंकि खिलाड़ी और टीमें अलग-अलग होती हैं। पूर्व स्पिनर ने कहा कि इस विकल्प से कोचों समेत सभी का काम का बोझ कम होगा।
हरभजन ने कहा, “मुझे लगता है कि अगर इसे लागू किया जा सकता है, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपके पास अलग-अलग फॉर्मेट के लिए अलग-अलग टीमें और अलग-अलग खिलाड़ी होते हैं। अगर हम ऐसा कर सकते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प है। इससे कोचों सहित सभी का काम का बोझ कम होगा। इसलिए अगर ऐसा हो सकता है तो यह कोई बुरा विकल्प नहीं है।”
हरभजन ने कहा, “कोच को भी किसी सीरीज की तैयारी के लिए समय चाहिए होता है। जैसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टेस्ट, फिर इंग्लैंड में, फिर कहीं और। इसलिए कोच तैयारी कर सकता है और तय कर सकता है कि उसकी टीम कैसी होनी चाहिए। यही बात सीमित ओवरों के कोच के लिए भी लागू होती है। उसे भी तैयारी के लिए समय चाहिए होगा।”
हरभजन ने कहा, “अगर आप एक कोच पर पूरे साल बहुत अधिक काम का बोझ डालेंगे, तो उसका भी एक परिवार और जिम्मेदारियां होंगी। परिवार के साथ लगातार ट्रेवल करना आसान नहीं है। इसलिए, अगर आप मुझसे पूछें तो लाल गेंद और सफेद गेंद की कोचिंग को अलग-अलग करना एक अच्छा विकल्प होगा।”