कार्तिक पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी में पवित्र स्नान करते हैं। यह सनातन धर्म में एक पवित्र अनुष्ठान माना गया है। कार्तिक माह भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए पूरी तरह समर्पित है जो कार्तिक पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।
कार्तिक पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी में पवित्र स्नान करते हैं। यह सनातन धर्म में एक पवित्र अनुष्ठान माना गया है। कार्तिक माह भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए पूरी तरह समर्पित है, जो कार्तिक पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। इस पर्व को पूरे देश में बहुत भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस साल लोग 27 नवंबर, 2023 को कार्तिक गंगा स्नान करेंगे।
गंगा स्नान तिथि
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 26 नवंबर 2023 – 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन – 27 नवंबर 2023 – 02:45
गंगा स्नान का महत्व
सनातन धर्म में गंगा स्नान का बड़ा ही धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन लोग गंगा स्नान व पूजा करते हैं। भक्त दूर-दूर से विभिन्न पवित्र स्थानों पर जाकर गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा उन पवित्र दिनों में से एक है, जब लोग हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, नासिक, कुरूक्षेत्र, पुष्कर और कई अन्य स्थानों पर जाते हैं।
कार्तिक स्नान के बारे में पहले से ही हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में बताया गया है।
ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस शुभ दिन पर गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं, उन्हें अपने पिछले बुरे कर्मों से छुटकारा मिल जाता है और उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही इस विशेष दिन पर गंगा नदी के पास दीया जलाना भी अत्यधिक फलदायी माना गया है।
गंगा पूजन के लिए मंत्र
गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति
ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
गंगा स्नान पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में पवित्र स्नान करने जाएं।
- यदि आप गंगा नदी में पवित्र स्नान करने नहीं जा सकते हैं, तो इस शुभ दिन पर आपको अपने नहाने के पानी में गंगा जल अवश्य मिलाना चाहिए।
- इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देना बेहद कल्याणकारी माना गया है।,
- भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय ‘ॐ आदित्याय नमः’ का जाप करें और उनसे आशीर्वाद लें।
- जो भक्त शाम के समय गंगा स्नान कर रहे हैं उन्हें चंद्र देव को अर्घ्य देना चाहिए और ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’का जाप करना चाहिए।
- इस दिन मां गंगा के सामने कम से कम एक दीया जरूर जलाएं और अगर संभव हो पाए, तो 7 देसी घी के दीयें जलाएं।