प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से बवेरिया में म्यूनिख के पास श्लॉस एलमौ में शुरू होने वाले ग्रुप ऑफ सेवन (G 7) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी पहुंचे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। जी दरअसल पीएम मोदी को 26-27 जून के कार्यक्रम में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज द्वारा आमंत्रित किया गया है, जो वर्तमान में जी7 प्रेसीडेंसी संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि शिखर सम्मेलन यूरोपीय संघ और कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेताओं को इकट्ठा करता है। वहीं दूसरी तरफ जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 26 और 27 जून को होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
आपको बता दें कि दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के समूह जी-7 के अध्यक्ष के रूप में जर्मनी शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। वहीं जी-7 नेताओं के यूक्रेन संकट पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है जिसने वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट को बढ़ावा देने के अलावा भू-राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया है। आपको बता दें कि जी7 शिखर सम्मेलन का निमंत्रण भारत और जर्मनी के बीच मजबूत और घनिष्ठ साझेदारी और उच्च स्तरीय राजनीतिक संपर्कों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है।
उनकी यात्रा से दुनिया की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक बड़ा पुश मिलने की उम्मीद है। वहीं पीएम के जाने से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, “जी 7 शिखर सम्मेलन में भारत की नियमित भागीदारी स्पष्ट रूप से बढ़ती स्वीकृति और मान्यता की ओर इशारा करती है कि भारत को चुनौतियों, विशेष रूप से वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए किसी भी और हर निरंतर प्रयास का हिस्सा बनने की आवश्यकता है, जिसका सामना दुनिया कर रही है।”
इसी के साथ क्वात्रा ने उल्लेख किया कि जी 7 शिखर सम्मेलन ने चालू वर्ष के लिए पांच प्रमुख प्राथमिकताओं को चुना है – ऊर्जा संक्रमण, आर्थिक सुधार और परिवर्तन, महामारी की रोकथाम और नियंत्रण, सतत निवेश और बुनियादी ढांचा और लोकतंत्र के साझा मूल्यों को बढ़ावा देना।