इस मामले की जांच कर रही एनआईए की टीम में आईजी अनिल शुक्ला, डीआईजी सोनिया नारंग, एसपी अरविंद नेगी और एसपी राकेश बलवाल को भी लगाया गया है. इसके अलावा लैंग्वेज एक्सपर्ट्स और कश्मीरियों को बर्खास्त डीएसपी देवेंद्र सिंह से पूछताछ के लिए रखा गया है. एनआईए के सूत्रों का कहना है कि देवेंद्र सिंह कश्मीरी सिख है और ओवारीगुंड त्राल का रहने वाला है. वह इंग्लिश और हिंदी की बजाय कश्मीरी में ज्यादा बेहतर तरीके से अपनी बात रखता है. इसीलिए कश्मीरी भाषा के जानकारी पुलिसकर्मियों को भी जांच में लगाया गया है.
सूत्रों का यह भी कहना है कि एनआईए कई एंगल से मामले की जांच कर रही है. हालांकि अभी तक की जांच में इतना ही सामने आया है कि बर्खास्त डीएसपी जल्द पैसा कमाने के लिए आतंकियों की मदद कर रहा था. सूत्रों के मुताबिक ऐसा लगता है कि बर्खास्त डीएसपी देवेंद्र सिंह को अपनी करतूत पर कोई अफसोस नहीं है. उसको लगता है कि वह इस मामले में बच जाएगा. एनआईए को बर्खास्त डीएसपी देवेंद्र सिंह के आपराधिक रिकॉर्ड होने की भी आशंका है.
एक अधिकारी का कहना है कि बर्खास्त डीएसपी देवेंद्र सिंह सिर्फ बदनाम अफसर ही नहीं है, बल्कि खूखार अपराधी भी है. आपको बता दें कि 11 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देवेंद्र सिंह को हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया था. इसके बाद मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी.
नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी(एनआईए) ने आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार जम्मू और कश्मीर के डीएसपी देवेंद्र सिंह के खिलाफ आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ रखने समेत अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक देवेंद्र सिंह पर यूएपीए की धारा 18,19,20, 38 और 39 के तहत मामला दर्ज किया गया है. यूएपीए की धारा 38 तब लगाई जाती है, जब किसी व्यक्ति के किसी आतंकी संगठन से जुड़ने की बात सामने आती है. यूएपीए एक्ट धारा 39, भी देवेंद्र सिंह और आतंकियों के ऊपर लगाई गई है.