म्मू-कश्मीर से गिरफ्तार DSP दविंदर सिंह (Davinder Singh) मामले में केंद्रीय खुफिया एजेंसी (आईबी) की टीम को एक बेहद अहम जानकारी मिली है. दविंदर के तार वर्ष 2005 में गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आतंकियों से भी जुड़ते दिख रहे हैं. आईबी के खुफिया सुत्रों के मुताबिक साल 2005 में दिल्ली पुलिस ने सात संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था. उन गिरफ्तार आरोपियों के पास से AK-47 और बड़ी संख्या में नकली करेंसी भी बरामद हुई थी. इसके अलावा जांच अधिकारियों को एक चिट्ठी भी मिली थी, जिसे दविंदर सिंह ने लिखा था.
क्या था उस चिट्ठी में
उस वक्त गिरफ्तार किए गए लोगों पर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करने का आरोप लगा था. गिरफ्तार आरोपियों में से एक संदिग्ध आतंकी का नाम था हाजी गुलाम मोइनुद्दीन डार उर्फ जाहिद. उसके पास से एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुआ था, जो दविंदर सिंह ने दिया था. इस अहम डॉक्युमेंट को डीएसपी दविंदर सिंह ने अपने लेटर हेड पर अपने हस्ताक्षर के साथ उसे दिया था. उस दस्तावेज में लिखा था ‘गुलाम मोइनुद्दीन पुलवामा के रहने वाले हैं. ये हमेशा अपने पास पिस्टल और एक वायरलेस सेट रखते हैं. इसलिए सभी फोर्स से अनुरोध है कि बिना कोई पूछताछ/ जांच पड़ताल के उसे जाने दिया जाए. कहीं भी उसे रोका नहीं जाए’.
इस चिट्ठी से बच गया संदिग्ध
आईबी के सूत्रों के मुताबिक गुलाम मोइनुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस की टीम ने उस वक्त दविंदर सिंह से बातचीत की थी और उस मामले में जानकारी मांगी थी. तब देविंदर सिंह ने फोन करके उस खत को सही ठहराया था. बाद में इसी डॉक्टूमेंट के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया.
कहां हुई चूक
सवाल उठता है कि आखिर दविंदर सिंह किसी आम नागरिक को वायरलेस सेट लेकर जाने की इजाजत कैसे दे सकता है. आर्म्स और उसके वायरलेस सेट को बिना कोई जांच पड़ताल के संदिग्ध युवक को लेकर जाने की इजाजत कैसे मिली? सूत्रों के मुताबिक, अगर उसी वक्त यानी साल 2005 में ही जम्मू -कश्मीर पुलिस और दिल्ली पुलिस इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेती तो आज दविंदर सिंह के चलते पुलिस और संस्था की इतनी बदनामी नहीं होती.अब होगी पूछताछ
NIA के सूत्रों से जब इस खत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जब दविंदर सिंह को दिल्ली मुख्यालय में पूछताछ के लिए लाया जाएगा तो इस मामले पर भी विस्तार से पूछताछ की जाएगी.