तिरुवनंतपुरम। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विपक्ष के विरोध के बीच केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी। राज्य सरकार महिलाओं व बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकने के मकसद से यह अध्यादेश लाई है। वहीं विपक्ष ने अध्यादेश के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का आरोप लगाया है।

राजभवन के सूत्रों के मुताबिक, कोविड-19 से उबरने के बाद आधिकारिक आवास पर लौटने के बाद राज्यपाल ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए। विपक्ष का कहना है कि यह संशोधन पुलिस को अधिक शक्ति देगा और प्रेस की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाएगा।
हालांकि मुख्यमंत्री पी विजयन ने इन आरोपों से इनकार किया है। पिछले महीने राज्य कैबिनेट ने सेक्शन 118 एक को जोड़ने के साथ पुलिस को अधिक शक्ति देने का फैसला किया था। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति को जानबूझकर डराने और अपमान व बदनाम करने वालों के लिए पांच साल तक की सजा या दस हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है।
विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच करने की अनुमति मांगी-
इस बीच, केरल सरकार ने राज्यपाल और विधानसभा स्पीकर से नेता विपक्ष रमेश चेन्नीथला और दो पूर्व मंत्रियों के खिलाफ जांच करने की अनुमति मांगी है। बार रिश्वत मामले में हालिया खुलासे के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। हाल ही में शराब कारोबारी बीजू रमेश ने आरोप लगाया था कि उसने पूर्व यूडीएफ सरकार के दौरान तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चेन्नीथला, पूर्व आबकारी मंत्री के बाबू व स्वास्थ्य मंत्री वीएस शिवकुमार को रिश्वत दी थी। सीएमओ के सूत्रों के मुताबिक, सीएम ने जांच को लेकर फाइल राज्यपाल व स्पीकर को भेज दी है।
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