आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ कोविड से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी इंटरनेशनल कोलेबोरेशन को तेजी से बढ़ा रहा है। इस समय 100 से ज्यादा स्थानों पर रिसर्च चल रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पांचवें आयुर्वेद दिवस के मौके पर आयुर्वेद संस्थानों- गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को राष्ट्र को समर्पित किया। इस मौके पर उन्होंने भगवान धन्वंतरि से भारत सहित पूरी दुनिया को आरोग्य का आशीर्वाद देने की प्रार्थना की। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद, भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं बल्कि होलिस्टिक तरीके से सोचता है। प्रधानमंत्री ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि जब इससे बचाव का कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इम्यूनिटी बूस्टर जैसे उपाय बहुत काम आए। इसके अलावा उन्होने बताया कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है।
कोरोना का मुकाबला करने मे हमारी परंपरा आई काम-
कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है। बीते साल की तुलना में इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात करीब डेढ गुना बढ़ा है। मसालों के निर्यात में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं।
कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इम्यूनिटी बूस्टर जैसे उपाय बहुत काम आए। इतनी बड़ी जनसंख्या वाला हमारा देश अगर आज संभली हुई स्थिति में है तो उसमें हमारी इस परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है।
इसी साल संसद ने दो ऐतिहासिक आयोग बनाए-
देश में सस्ते और प्रभावी इलाज के साथ प्रिवेंनटिव हेल्थ केयर वेलनेस पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। आचार्य चरक ने कहा है- स्वास्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं आतुरस्य विकार प्रशमनं च। यानी, स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी को रोगमुक्त करना ये आयुर्वेद के उद्देश्य हैं।
21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, होलिस्टिक तरीके से सोचता है। हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों को भी अब होलिस्टिक अप्रोच के साथ उसी तरीके से ही सुलझाया जा रहा है।
इसी साल संसद के मानसून सत्र में दो ऐतिहासिक आयोग भी बनाए गए हैं। पहला- नेशनल कमीशन फोर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन, दूसरा- नेशनल कमिशन फोर होम्योपैथी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत की मेडिकल एजुकेशन में इंटीग्रेशन की एप्रोच को प्रोत्साहित किया गया है।
तीन साल पहले हुई थी अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना-
मुझे विश्वास है कि हमारे साझा प्रयासों से आयुष ही नहीं बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का साक्षी बनेगा।
देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है। तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी।
कहते हैं कि जब कद बढ़ता है तो दायित्व भी बढ़ता है। आज जब इन 2 महत्वपूर्ण संस्थानो का कद बढ़ा है, तो मेरा एक आग्रह भी है- अब आप सब पर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी है जो इंटरनेशनल प्रैक्टिसिस के अनुकूल और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप हो।
बदलते समय के साथ आज हर चीज इंटीग्रेट हो रही है-
देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है। तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी।
बदलते समय के साथ आज हर चीज इंटीग्रेट हो रही है। स्वास्थ्य भी इससे अलग नहीं है। इसी सोच के साथ देश आज इलाज की अलग-अलग पद्धतियों के इंटीग्रेशन के लिए एक के बाद एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसी सोच ने आयुष को देश की आरोग्य नीति का अहम हिस्सा बनाया है।
आज गुजरात के जामनगर में इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद को इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपोर्टेंस के रूप में मान्यता मिली है। इसी तरह जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को भी डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में आज लोकार्पित किया गया है।
भारत के पास है आरोग्य से जुड़ी बहुत बड़ी विरासत-
देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है। तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी।
ये हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है। लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में। इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।
आयुर्वेद, भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। गर्व की बात है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने ग्लोबल सेंटर फोर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए भारत को चुना है। अब भारत को दुनिया के लिए इस दिशा में काम करना होगा। भारत को ये बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए मैं डब्ल्यूएचओ और उसके महानिदेशक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
पूरे विश्व को आरोग्य का आशीर्वाद दें-
धन्वंतरि आयुर्वेद के भगवान माने जाते हैं। आज के इस पावन दिन, आयुर्वेद दिवस पर भगवान धन्वंतरि से पूरी मानव जाति की प्रार्थना है कि वो भारत समेत पूरी दुनिया को आरोग्य का आशीर्वाद दें। आज का आयुर्वेद दिवस गुजरात और राजस्थान के लिए विशेष है। इसके लिए पूरे देश को बहुत-बहुत बधाई।