योगी आदित्यनाथ सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण का रविवार को निधन हो गया। वह वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में भर्ती थीं। निधन की पुष्टि एसजीपीजीआइ के सीएमएस डॉक्टर अमित अग्रवाल ने की है। मंत्री कमलरानी वरुण के निधन की सूचना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज का अपना अयोध्या और बाराबंकी का दौरा स्थगित कर दिया है।
सीएमएस डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण को सीवियर कोविड-19 निमोनिया हो गया था। इस वजह से वह एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम में चली गई थी। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। कोरोना के लिए निर्धारित रेमडेसिविर समेत अन्य निर्धारित दवाएं उन्हें लगातार दी जा रही थी, लेकिन सुधार नहीं हो रहा था।
मंत्री कमलरानी को पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन व थायराइड से जुड़ी समस्या थी। उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो गया था। हालांकि, शुरुआत के 10 दिनों में उनकी तबीयत स्थिर रही, लेकिन पिछले तीन दिनों से अचानक स्थिति खराब होने लगी। शनिवार की शाम करीब 6:00 बजे तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें बड़े वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। रविवार को सुबह 9:00 बजे उनका निधन हो गया। मंत्री जी की बेटी भी कोरोना पॉजिटिव थी। वह ठीक हो गयी।
लम्बा रहा राजनीतिक सफर-पार्षद से सांसद फिर राज्य सरकार में मंत्री
लखनऊ में तीन मई 1958 को जन्म लेने वाली कमलरानी वरुण का विवाह 25 मई 1975 को किशन लाल वरुण से हुआ था। कमलरानी वरुण ने बूथ पर घूंघट में मतदाता पर्ची काटने से राजनीति की सीढ़ी चढऩी शुरू की और सांसद-विधायक बनने के साथ प्रदेश की मंत्री तक का सफर तय किया था। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ लेने वाली कमलरानी वरुण का विवाह एलआईसी में प्रशासनिक अधिकारी किशन लाल से हुआ जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिबद्ध स्वयंसेवक थे। बहू बनकर कानपुर आईं कमलरानी ने पहली बार 1977 के चुनाव में बूथ पर मतदाता पर्ची काटने के लिए घूंघट में घर की दहलीज पार की। समाजशास्त्र से एमए कमलरानी को पति किशनलाल ने प्रोत्साहित किया तो वह आरएसएस के मलिन बस्तियों में संचालित सेवा भारती के सेवा केंद्र में बच्चों को शिक्षा के साथ गरीब महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और बुनाई का प्रशिक्षण देती थीं। वर्ष 1989 में भाजपा ने उन्हेंं शहर के द्वारिकापुरी वार्ड से कानपुर पार्षद का टिकट दिया था। सभासद का चुनाव जीत कर नगर निगम पहुंची कमलरानी 1995 में दोबारा उसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुई थीं। आरएसएस की सेवा भारती के बाद सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाली कमल रानी वरुण 1988 में पहली बार सभासद चुनी गईं। इसके बाद दो बार लोकसभा भी पहुंचीं और विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद उन्हेंं योगी आदित्यनाथ सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ।
राजनीतिक सितारे बुलंदी पर थे और कमलरानी घाटमपुर लोकसभा सीट से 1996 में लोकसभा में पहुंच गईं। लोकसभा का सत्र पूरा ना हो सका और 1998 में दोबारा चुनाव हुआ। इस चुनाव में भी पार्टी ने उन पर पूरा भरोसा दिखाया और कमल रानी वरुण ने भी जीत हासिल कर पार्टी का भरोसा कायम रखा। लगातार दूसरी बार लोकसभा का सत्र पूरा नहीं हुआ और अगले ही वर्ष 1999 में फिर लोकसभा का चुनाव हुआ। दो बार की विजयी कमलरानी इस चुनाव में बहुत ही करीबी संघर्ष में पराजित हो गईं। बसपा के प्यारेलाल शंखवार ने जीत हासिल की जबकि सपा की अरुण कुमारी उनसे करीब सौ वोट पीछे थीं। कमल रानी तीसरे नंबर पर रहीं।
वह प्यारेलाल शंखवार से मात्र 500 वोटों के अंतर से पिछड़ीं। यह कमलरानी के लिए एक बड़ा झटका था। इसके बाद 2004 में पार्टी ने उन्हेंं टिकट नहीं दिया। 2009 का चुनाव आया परिसीमन बदल चुका था और घाटमपुर लोकसभा सीट खत्म हो गई थी। इसके बाद 2012 में पार्टी ने उन्हेंं रसूलाबाद से विधानसभा का टिकट दिया लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सकीं। 2017 के चुनाव में जब मोदी लहर अपना कमाल दिखा रही थी और भाजपा पूरी मजबूती से आगे बढ़ रही थी उन्हेंं घाटमपुर विधानसभा सीट से टिकट मिला। उनके राजनीतिक सितारे फिर से चमके और घाटमपुर में जीत हासिल करने के बाद वह प्रदेश सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री भी बनीं। विधानसभा क्षेत्र में उनकी स्थिति थी कि राह चलते लोग भी उन्हेंं आवाज देकर रोक लेते थे और वह पूरी तन्मयता से उनकी बात सुन समस्याओं का निराकरण करती थीं।
सुबह ही भाजपा विधायक को दी थी जन्मदिन की बधाई
कानपुर के बिठूर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक अभिजीत सिंह सांगा का आज यानी दो अगस्त को जन्मदिन है। आज सुबह ही प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी ने उन्हेंं जन्मदिन का बधाई संदेश भेजा था। अभिजीत सिंह सांगा के अनुसार उनका बधाई संदेश तो मिला लेकिन उसकी कुछ दिन देर बाद ही उनके निधन की सूचना भी मिली। घाटमपुर विधानसभा सीट उनकी बिठूर विधानसभा सीट के ठीक बगल का क्षेत्र है। उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है।