CM ने कहा-स्वामी सुंदरानंद ने इस आर्ट गैलरी के रूप में विश्व को सौंपी एक अनमोल धरोहर…

गंगोत्री धाम में तपोवन हिरण्यगर्भ आर्ट गैलरी एवं योग-ध्यान केंद्र (हिमालय तीर्थ) का शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने लोकार्पण किया। धाम में हिमालय के प्रसिद्ध फोटोग्राफर एवं संन्यासी स्वामी सुंदरानंद ने इस आर्ट गैलरी एवं योग-ध्यान केंद्र को तैयार किया है। यहां हिमालय की कंदराओं से लेकर चोटियों, घाटियों, सांस्कृतिक परिदृश्य एवं पौराणिक लोकजीवन को जीवंत करती एक हजार तस्वीरें लगाई गई हैं। आर्ट गैलरी का संचालन फिलहाल स्वामी सुंदरानंद की ही देखरेख में होगा। भविष्य में इसके संचालन के लिए एक समिति गठित करने पर विचार किया जा रहा है। इसमें आरएसएस के स्वयं सेवक भी शामिल रहेंगे।

आर्ट गैलरी की एक-एक तस्वीर का अवलोकन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्ट गैलरी में गंगोत्री घाटी 72 साल के दौरान आए बदलावों की झांकी प्रदर्शित हुई है। स्वामी सुंदरानंद ने इस आर्ट गैलरी के रूप में विश्व को एक अनमोल धरोहर सौंपी है। जो अध्ययन केंद्र के रूप में सदियों तक दुनिया के पर्वतारोहियों एवं प्रकृति प्रेमियों का मार्गदर्शन करती रहेगी।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि स्वामी सुंदरानंद ने एक ही स्थान पर हिमालय के दिव्य दर्शन कराकर उल्लेखनीय एवं अनूठा कार्य किया है। भविष्य में हिमालय पर होने वाला कोई भी शोध कार्य उसमें इस आर्ट गैलरी को शामिल किए बिना अधूरा समझा जाएगा। शेखावत ने यह भी कहा कि वर्ष 2021 के कुंभ में हरिद्वार में स्वच्छ एवं निर्मल गंगा जल श्रद्धालुओं को मिल सकेगा। इसके लिए गंगा के आंचल को मैला करने वाले सभी गंदे नालों को टेप किया जाएगा। दिसंबर 2020 से पूर्व यह कार्य संपन्न हो जाएगा। उन्होंने गंगा की स्वच्छता के लिए जनभागीदारी की भी अपील की।

इस मौके पर आर्ट गैलरी की ट्रस्टी यूएसए निवासी डेबरा उर्फ दयामयी ने कहा कि वह वर्ष 2003 में स्वामी सुंदरानंद से मिली थीं। तब से योग-ध्यान के जरिये उनसे एक आध्यात्मिक रिश्ता जुड़ गया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा कि स्वामी सुंदरानंद ने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर दिया। उनकी यह धरोहर पर्वतारोहियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। कार्यक्रम में संघ के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, यूएसए के स्वामी सच्चिदानंद, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक गोपाल सिंह रावत, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के पूर्व प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल, डॉ. अशोक लूथरा, अनिल नौटियाल, कमल जोशी आदि मौजूद रहे।

अस्वस्थ होने पर भी बोले स्वामी सुंदरानंद

बीते चार दिनों से अस्वस्थ होने के बाद भी स्वामी सुंदरानंद ने आर्ट गैलरी के लोकार्पण समारोह में पांच मिनट तक बेड से ही अपना संबोधन दिया। कहा कि आर्ट गैलरी के रूप में उन्होंने प्रकृति में ईश्वर की तलाश की है। उन्होंने गंगोत्री धाम आए अपने अनुयायियों और अतिथियों का भी आभार जताया।

गोमुख व गंगोत्री ग्लेशियर के ही 50 हजार फोटो

ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकीन बाबा ने सिर्फ गोमुख और गंगोत्री ग्लेशियर के ही 50 हजार से ज्यादा फोटो लिए हैं। गोमुख में 70 सालों के दौरान आए बदलावों को भी स्वामी सुंदरानंद ने प्रत्यक्ष देखा है।

स्वामी सुंदरानंद : एक परिचय

अविभाजित आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थित अनंतपुरम गांव में वर्ष 1926 में जन्मे स्वामी सुंदरानंद को बचपन से ही पहाड़ लुभाते थे। पांच बहनों के सुंदरानंद अकेले भाई हैं। पढ़ाई के लिए अनंतपुरम, नेल्लोर व चेन्नई जाने के बाद भी स्वामी सुंदरानंन केवल चौथी कक्षा तक ही पढ़ पाए। वर्ष 1947 में उन्होंने घर छोड़ दिया और भुवनेश्वर, पुरी, वाराणसी, हरिद्वार होते हुए वर्ष 1948 में गंगोत्री पहुंचे। यहां तपोवन बाबा के सानिध्य में रहने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। इसका उल्लेख उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी किया है।

इस घटना ने बनाया फोटोग्राफर

स्वामी सुंदरानंद अपने सात साथियों के साथ वर्ष 1955 में समुद्रतल से 19510 फीट ऊंचे कालिंदीखाल ट्रैक पर गए थे। इस दौरान अचानक बर्फीला तूफान आ गया। हालांकि, वे साथियों समेत जैसे-तैसे तूफान से निकलने में सफल रहे। इस घटना के बाद उन्होंने हिमालय के विभिन्न रूपों को कैमरे में उतारने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने 25 रुपये में एक कैमरा खरीदा और शुरू हुआ फोटोग्राफी का कभी न थमने वाला सफर। वर्ष 2002 में स्वामी सुंदरानंद ने अपने अनुभवों को पुस्तक हिमालय : ‘थ्रू द लेंस ऑफ ए साधु’ (एक साधु के लेंस से हिमालय दर्शन) में प्रकाशित किया। पुस्तक का विमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।

सीएम व केंद्रीय मंत्री ने की गंगा पूजा

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावात ने गंगा पूजा के साथ गंगोत्री मंदिर में भी पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने उत्तरकाशी जिले की दो दर्जन योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया।

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