दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पहली बार रामनगरी पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने मठों-मंदिरों को व्यावसायिक टैक्स से मुक्त किए जाने का निर्देश दिया है। रामकथा पार्क में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने नगर आयुक्त विशाल सिंह काे निर्देश दिया कि मठों, मंदिरो, धर्मशालाओं एवं धर्मार्थ संस्थाओं से नगर निगम कामर्शियल दर से गृह कर, जलकर न ले। यह सभी संस्थाएं धमार्थ एवं जन सेवा का कार्य करती हैं और इनसे टोकन मनी के रूप में सहयोग लें।
यदि आवश्यक हो तो इसका प्रस्ताव बनाकर शीघ्र अनुमोदन नगर विकास विभाग से प्राप्त कर लें। मुख्यमंत्री ने रामलला और बजरंगबली का दर्शन करने के साथ मंदिर आंदोलन के पुरोधा रहे वयोवृद्ध संतों का आशीर्वाद लिया, बल्कि हिंदुत्व की संवाहक मानी जाने वाली रामकाेट की परिक्रमा की अगवानी की तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर स्पष्ट किया कि रामनगरी का विकास उनकी प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है। अपराह्न सरयू तट स्थित हेलीपैड पर उतरते ही वह हनुमानगढ़ी की ओर रवाना हुए।
यहां अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत गौरीशंकरदास, महंत राजूदास, पुजारी रमेशदास आदि ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और उनके साथ 76 सीढ़ियां चढ़ कर हनुमान जी के सम्मुख पहुंचे। हनुमान जी को भोग और पुष्पहार अर्पित करने एवं प्रसाद लेने के बाद मुख्यमंत्री कुछ मिनट तक मौन हो हनुमान जी के सम्मुख नतमस्तक रहे। यहां से उनका काफिला रामजन्मभूमि पहुंचा। वहां प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री ने रामलला का पूजन-अर्चन किया। मुख्यमंत्री ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगाोपालदास से मणिरामदास जी की छावनी पहुंच कर भेंट की।
वह बड़ा भक्तमाल मंदिर भी गए और वहां के वयोवृद्ध महंत कौशलकिशोरदास का हाल-चाल लिया। इसके बाद उन्होंने रामकोट की परिक्रमा की अगवानी की। इसके बाद मुख्यमंत्री का रामनगरी के विकास से जुड़ा सरोकार परिलक्षित हुआ। रामकथा संग्रहालय में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान उन्होंने रामनगरी के मठों, मंदिरों, धर्मशालाओं एवं धमार्थ से जुड़ी संस्थाओंं को व्यावसायिक टैक्स से मुक्त किए जाने का निर्देश देते हुए याद दिलाया कि राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद यह पहला रामनवमी मेला कोविड संकट के बाद हो रहा है। इसकी तैयारी भव्यता से कराएं तथा अयोध्या को विश्व मानचित्र पर लाने के लिए विशेष प्रयास करें।
शासन-प्रशासन का कोई भी अधिकारी एवं वीआईपी अष्टमी एवं नवमी को अयोध्या का भ्रमण न करे, यदि करें तो उन्हें सामान्य व्यवस्था ही प्रदान की जाय। राम नवमी मेला की तैयारी की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो गया है। रामनवमी के बाद भी प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूरे भारत से आएंगे। इसे दृष्टिगत रखते हुए अयोध्या का ऐसा मनमोहक वातावरण सृजित करें एवं अयोध्या की ऐसी सजावट करें कि श्रद्धालुओं को अयोध्या में प्रवेश करते ही पूरा वातावरण राममय लगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि चुनाव के पूर्व जो भी विकास योजनाएं बनाई गईं और वे लंबित हों, तो उन्हें तत्काल शुरू कराएं। जिनकी डीपीआर न बनी हो, उनकी डीपीआर बना कर भेजें। साथ ही सभी परियोजनाओं का कार्य तेजी से शुरू करा कर निर्धारित अवधि में पूर्ण कराएं। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ महापौर रिषिकेश उपाध्याय, क्षेत्रीय विधायक वेदप्रकाश गुप्त, रुदौली विधायक रामचंद्र यादव, बीकापुर विधायक अमित सिंह चौहान, जिला भाजपाध्यक्ष संजीव सिंह, महानगर भाजपाध्यक्ष अभिषेक मिश्र, मंडलायुक्त नवदीप रिणवा, आइजी रेंज केपी सिंह, जिलाधिकारी नितीश कुमार, एसएसपी शैलेश पांडेय, नगर आयुक्त विशाल सिंह आदि मौजूद रहे।
सामान्य टैक्स से छह गुना अधिक है व्यावसायिक टैक्स: रामनगरी में मंदिरों के गर्भगृह सहित उसके मुख्य आगार तो पहले से टैक्स मुक्त हैं, किंतु संतों के आवासीय परिसर सामान्य टैक्स की परिधि में तथा श्रद्धालुओं के आवासीय परिसर व्यवसायिक टैक्स की सीमा में शामिल किए जाते रहे हैं। नगर निगम व्यावसायिक टैक्स सामान्य आवासीय टैक्स से छह गुना अधिक वसूलता हैै। ऐसे में मुख्यमंत्री का निर्देश बड़ी राहत वाला माना जा रहा है। 2017 में नगर निगम के गठन के बाद से ही 10 से 50 गुना तक बढ़े जल कर एवं भवन कर रामनगरी के लिए बड़ी समस्या के तौर पर सामने रहे हैं।