सियासी गलियारे में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा तेज हो गयी है। चर्चा है कि विधानमंडल सत्र समाप्त होने के हफ्ते भर के भीतर मंत्रिमंडल विस्तार हो जाए। इस चर्चा के मूल में यह है कि वर्तमान में कई मंत्रियों के पास विभागों का अतिरिक्त बोझ है। माना जा रहा है कि एक साथ वे सभी विभागों का काम नहीं देख सकते।
विस्तार की संभावना को ले चर्चा
मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री को छोड़ जदयू कोटे से अब चार मंत्री ही हैं। संभव है कि जदयू कोटे से आठ नए मंत्री शपथ लें। वहीं भाजपा कोटे से दस और मंत्री शपथ ले सकते हैं। पहले से दो उप मुख्यमंत्री सहित भाजपा के सात मंत्री हैं। एक-एक मंत्री हम और वीआइपी से हैं। इस हिसाब से विस्तार के 31 मंत्री हो जाएंगे। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री सहित 33 मंत्री थे। ऐसी स्थिति में संभव है कि हम और वीआइपी को एक-एक मंत्री का कोटा कहीं और न मिल जाए। पर फार्मूेले के हिसाब से यह संभव नहीं लग रहा। वैसे भी वीआइपी को विधान परिषद की भी एक सीट मिलनी है।
अनुपात के हिसाब तय फार्मूले में घट-बढ़ संभव
तय फार्मूेले में 3.5 पर एक मंत्री दिए जाने का प्रावधान है। 36 मंत्रियों की कुल संख्या में विधायकों की संख्या के हिसाब से तय होने वाले इस फार्मूेले में बदलाव भी संभव है। जदयू कोटे के कई विभाग अब भाजपा के पास चले गए हैं। पिछली सरकार में जदयू के पास जो विभाग थे उनमें कई भाजपा के पास चले गए हैं। दो विभाग हम को भी गए हैं। पूर्व की एनडीए सरकार में आपदा प्रबंधन, पंचायती राज, उद्योग, गन्ना व विधि जदयू के पास थे जो अब भाजपा के मंत्रियों के पास है। वहीं लघु जल संसाधन व अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग हम के पास है।
विभागों के लिहाज से यह है आंकड़ा
नयी सरकार में जदयू के पास 20 महकमे हैं और भाजपा के पास 21 विभाग हैं। दो महकमे हम के पास हैं और एक विभाग वीआइपी को मिला है।
मंत्रियों पर इस तरह से है अतिरिक्त बोझ
1. उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद-6 विभाग
2.उप मुख्यमंत्री रेणु देवी-3 विभाग
3. विजय चौधरी-5 विभाग
4.बिजेंद्र यादव- 4 विभाग
5. अशोक चौधरी-5 विभाग
6. मंगल पांडेय- 3 विभाग
7. अमरेंद्र प्रताप सिंह-3 विभाग
8.जीवेश कुमार- 3 विभाग