मध्य प्रदेश में सियासी संकट जारी है. इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को खत लिखा है. इसमें उन्होंने कहा कि विधायकों को बंधक बना कर रखा गया है. उनसे दबाव में वीडियो के जरिए बयान दिलवाए जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट करना असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक होगा.

सीएम कमलनाथ ने कहा कि फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्व से दबावमुक्त हों. सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन के चिट्ठी का भी जवाब दिया. उन्होंने साफ किया कि विधानसभा अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है.
राज्यपाल लालजी टंडन को लिखी चिट्ठी में सीएम कमलनाथ ने कहा कि राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष का मार्गदर्शक या परामर्शदाता नहीं है. राज्यपाल और अध्यक्ष दोनों के अपने-अपने स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं. राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल की तरह काम नहीं कर सकते.
सीएम कमलनाथ ने कहा कि भारत का संविधान राज्यपाल को ऐसी शक्तियां नहीं देता है कि वह किसी राजनैतिक पार्टी की आंतरिक समस्या या विरोधी राजनीतिक दलों के मध्य विवाद को सुलझाने का काम करें. उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि फ्लोर टेस्ट की अपेक्षा आपने मुझसे की, जबकि ये अधिकार स्पीकर का है.
इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ को एक खत लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश की हाल की घटनाओं से उन्हें प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि उनकी सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और ये सरकार अब अल्पमत में है. ये स्थिति अत्यंत गंभीर है और सीएम कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें.
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