यह समय बिहार के नेताओं के लिए बेहद भारी चल रहा है। विधानसभा चुनाव सिर पर है। माहौल बनाने के लिए जनता से मुलाकात जरूरी है, लेकिन कोरोना का डर दूरी बनाने के लिए मजबूर कर रहा है। हालत यह है कि कई नेता बिना सघन जनसंपर्क के ही कोरोना की चपेट में आ गए हैं। राहत की बात इतनी भर है कि उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। किसी एक नेता के संक्रमित होने की खबर सुनकर दूसरे लोग अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं।
बिहार में अभी तक करीब आधा दर्जन ऐसे राजनेता कोरोना की चपेट में आए हैं, जिनकी उपयोगिता विधानसभा चुनाव में है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बड़े नेता प्रो. रघुवंश प्रसाद सिंह संक्रमण मुक्त होकर घर लौट आए हैं। उनकी उम्र 72 साल है। उनकी सकुशल घर वापसी से बाकी नेताओं का हौसला बढ़ा है। धारणा बनी है कि इस बीमारी से बचा जा सकता है। एक अन्य पूर्व सांसद पुतुल कुमारी भी कोरोना को मात देकर घर लौट आईं हैं।
संक्रमण की चपेट में और भी कई मंत्री-विधायक
राज्य सरकार के एक मंत्री और कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी के एक-एक एक विधायक भी हाल में कोरोना की चपेट में आए हैं। मंत्री की पत्नी और निजी स्टाफ की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव है। ये सब युवा हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही स्वस्थ होकर घर लौट आएंगे। राज्य में कोरोना से संक्रमित हुए 77 फीसद लोग स्वस्थ्य होकर घर लौट आए हैं।
सबकी एक ही चिंता: कैसे हो चुनाव प्रचार
राज्य में अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। चार दिन पहले चुनाव आयोग की ओर से पटना में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। सबसे अधिक चर्चा इसी मुद्दे पर हुई कि चुनाव में प्रचार कैसे हो? वर्चुअल चुनाव प्रचार के पक्ष में राय आई।
डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार इजाजत मांगी
लोकसभा में जनता दल यूनाइटेड (JDU) संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह की राय थी कि उम्मीदवारों (Candidates) और स्थानीय कार्यकर्ताओं को पहले की तरह डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार करने की इजाजत दे दी जाए। बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार के बारे में चुनाव आयोग केंद्रीय गृह मंत्रालय से मशविरा कर कोई तरकीब निकाले। प्रचार में समय कम लगे, इसके लिए एक ही चरण में मतदान कराने की राय भी दी गई है। चुनाव आयोग (Election Commission) की ओर से इस संबंध में कुछ नहीं कहा गया है। आयोग कोई गाइडलाइन जारी करे तो राजनीतिक दल प्रचार को लेकर अपनी रणनीति तय करेंगे।
वर्चुअल रैली की कामयाबी को लेकर संदेह
राज्य में अप्रत्यक्ष ढंग से चुनाव प्रचार शुरू है। बीजेपी और जेडीयू आगे चल रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग (VC) के जरिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों की उपलब्धियों के बारे में जनता को बताने के लिए कहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना से बचाव के बारे में अपने कार्यकर्ताओं की जानकारी दी। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से वे राज्य, जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर के नेताओं-कार्यकर्ताओं से मुखातिब हुए। कांग्रेस और आरजेडी भी छिटपुट तौर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा ले रहे हैं। लेकिन पहली बार हो रही वर्चुअल रैली (Virtual Rally) की कामयाबी को लेकर नेताओं को संदेह है।
भीड़ देखने से बढ़ता है आत्मविश्वास
दरअसल, वर्चुअल रैली की भीड़ के बारे में नेताओं को पता नहीं चलता है। रैली की भीड़ और भाषण पर जनता के रिस्पांस से नेताओं को चुनावी नतीजों के बारे में आकलन करने में सुविधा होती है। अगर रिस्पांस कमजोर है तो अगले चरण में सुधार का प्रयास किया जाता है। पारखी नेता भीड़ देखकर ही पार्टी की संभावनाओं का आकलन कर लेते हैं। झारखंड चुनाव के समय कम भीड़ और कमजोर उत्साह को देखकर ही बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी की पराजय को भांप लिया था। लिहाजा, राज्य के नेता वर्चुअल रैली को लेेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वे जनता से मुखातिब होकर अपनी बात कहना चाह रहे हैं, लेकिन कोरोना का संक्रमण उन्हें ऐसा करने से रोक रहा है। इसी का नतीजा है कि मंत्री, विधायक और दलों के बड़े प्रचारक संक्रमण के दायरे में आ रहे हैं।
उम्मीद है कि आगे सब ठीक हो जाएगा
राज्य में बहुत हद तक कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है। आज की तारीख में बमुश्किल दो हजार एक्टिव केस हैं। रिकवरी की दर 77 फीसद होने के चलते यह उम्मीद की जा रही है कि चुनाव प्रचार के चरम यानी सितंबर के आखिरी सप्ताह तक स्थिति ऐसी हो जाएगी, जब एहतियात के साथ नेता खुले मंच से भाषण देकर अपने उम्मीदवार के लिए वोट मांग सकें। जहां तक अभी का सवाल है तो मंत्री और विधायकों के संक्रमित होने की खबरों ने जन प्रतिनिधियों को डरा जरूर दिया है।
पर्याप्त सावधानी बरत रहे हैं राजनेता
राज्य के बड़े नेता कोरोना से बचने के लिए पर्याप्त सावधानी बरत रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस संकट से निबटने के लिए 24 घंटे तत्पर हैं, लेकिन कोशिश करते हैं कि कम से कम बाहर निकलें। शुरुआत के ढाई महीने उन्होंने आवासीय कार्यालय से ही कामकाज किया। इस दौरान चुनिंदा मंत्रियों और अफसरों से ही वे शारीरिक दूरी बनाकर मिले। कैबिनेट की बैठकें भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुईं। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आमने-सामने की मुलाकात को भरसक टालने का प्रयास किया। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव खुद लॉकडाउन के चलते दिल्ली में फंसे थे। पटना आए तो 14 दिनों तक क्वारंटाइन रहे। इस समय भी वे दूरी बनाकर ही लोगों से बातचीत करते हैं।