चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा में कैंसर पांव पसार ही रहा था, लेकिन अब चंडीगढ़ भी चपेट में आता जा रहा है। यही नहीं, केसों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्टरियों की तीसरी रिपोर्ट जारी हुई तो इसमें चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। चंडीगढ़ में हर एक लाख पर 96 पुरुष और 100 महिलाएं कैंसर की चपेट में आ रही हैं। इस तरह हर 9 पुरुष में एक और हर आठ महिला में एक में कैंसर का विकास हो रहा है। यानी उसे खतरा है। चंडीगढ़ में कैंसर का डाटा रिकॉर्ड नहीं हो रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों की टीम ने भविष्य में डाटा एकत्रित करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही इसे प्रमुख बीमारियों में शामिल करने के लिए कहा गया। कैंसर बढ़ने की वजह बदलती जीवन शैली है।
ऐसे निकाला गया आंकड़ा-
पंजाब व चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग, पीजीआई और टाटा मेमोरियल सेंटर मुंबई की ओर से यह डाटा संयुक्त रूप से जारी किया गया। यह तीसरी रिपोर्ट साल 2015-16 की है। यानी विशेषज्ञों ने लगभग चार साल पुराने आंकड़ों का विश्लेषण किया है। क्योंकि कैंसर के मरीज आते हैं और उसके बाद विशेषज्ञों की टीम अस्पतालों से उनका डाटा लेती है और उनके घरों पर जाकर सर्वे करती है। कारण तलाशती है। लगभग तीन साल से यह रिपोर्ट जारी हो रही है। चंडीगढ़ में कैंसर का ट्रेंड कैसा है? इसका पता लगाने में अभी विशेषज्ञ असमर्थता जता रहे हैं। क्योंकि कम से कम चार साल की कैंसर रिपोर्ट और सामने आएगी, तब कहीं ट्रेंड का पता लग पाएगा।
चंडीगढ़, एसएएस नगर के पुरुषों में फेफड़ों व प्रोस्टेट कैंसर मिल रहा-
चंडीगढ़, एसएएस नगर, संगरूर और मानसा की पीबीसीआर रिपोर्ट (2015-16) जारी हुई है। इसमें चंडीगढ़ और एसएएस नगर रजिस्टरी डाटा के अनुसार पुरुषों में फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर में प्रमुख अग्रणी हैं, जबकि संगरूर और मानसा एसोफैगस और यकृत में है। वहीं, महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर हो रहा है। चंडीगढ़ में एक लाख पुरुषों में से 96.6 और महिलाओं में से 100.9 को कैंसर हो रहा है। एसएएस नगर में पुरुषों में 87.3 और महिलाओं में 96.2 को कैंसर विकास दिखाया गया है। संगरूर और मानसा कैंसर रजिस्टरी घटनाओं की दर शहरी कैंसर रजिस्टरियों की तुलना में कम है।
चंडीगढ़ में एक लाख में 49 पुरुषों व 38 महिलाओं की कैंसर से हो रही मौत-
प्रति एक लाख लोगों में से चंडीगढ़ में 49.2 पुरुष व 38.5 महिलाओं की कैंसर से मौत हो रही है। इसी तरह एसएएस नगर में 46.4 (पुरुष) और 39.5 (महिला), संगरूर में 43.3 (पुरुष) और 41.0 (महिला), मानसा -42.5 (पुरुष) और 40.5 (महिला) मृत्यु दर है। चंडीगढ़ में पुरुषों में 0-74 वर्ष की आयु समूह के लिए संचयी जोखिम 11.6% है। एसएएस नगर में पुरुषों के लिए 10.5 फीसदी और महिलाओं के लिए 11 फीसदी खतरा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि कैंसर जागरूकता कार्यक्रम पर जोर देने की आवश्यकता है और कैंसर को चंडीगढ़ में एक उल्लेखनीय बीमारी बनाया जाना चाहिए। पड़ोसी राज्यों (राजस्थान और हरियाणा) के साथ डाटा के अंतरराज्यीय बंटवारे के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए। राज्य राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत ईएमआर प्रणाली शुरू करने पर विचार कर सकते हैं।
सरकार हर संभव मदद करेगी : मालिनी महाजन-
रिपोर्ट जारी करते हुए, सामुदायिक चिकित्सा और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर ने पीबीसीआर और इसके प्रमुख निष्कर्षों के बारे में बताया। प्रो. टीएम बडवे, निदेशक टीएमसी मुंबई और उनकी टीम वस्तुत: बैठक में शामिल हुई। प्रो. आरए बैडवेम्पहास ने कहा कि कैंसर रजिस्टरियां कैंसर का पता लगाने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और देश भर में कैंसर को ध्यान देने योग्य बीमारी बनाने के लिए कहा जाता है। पीजीआई के निदेशक प्रो. जगतराम ने भी समुदाय में कैंसर के बोझ, प्रवृत्तियों और कैंसर नियंत्रण गतिविधियों के आकलन के लिए जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्टरियों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
पीबीसीआर पंजाब और चंडीगढ़ की रिपोर्ट मालिनी महाजन, मुख्य सचिव पंजाब ने जारी की। उन्होंने पंजाब और चंडीगढ़ में जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्टरियों के महत्व पर बात की। उल्लेख किया कि यह रिपोर्ट बीमारी के वास्तविक बोझ को समझने और क्षेत्र में मौजूदा कैंसर नियंत्रण गतिविधियों को मजबूत करने में मदद करने का मार्ग प्रशस्त करेगी। आश्वासन दिया कि पंजाब सरकार किसी भी संभावित सहायता के लिए हमेशा पीबीसीआर का समर्थन करेगी। आखिर में प्रो. राजेश दीक्षित, डायरेक्टर, सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी मुंबई की ओर से आभार जताया गया।