नई दिल्ली। भारत का सबसे बड़ा आइटी (इन्फार्मेशन) बाजार अमेरिका ही है। वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रवैया आइटी आउटसोर्सिंग और एच1बी वीजा को लेकर काफी सख्त है। इस वजह से भारतीय आइटी पेशेवरों का अमेरिका में जाकर काम करना काफी कठिन हो गया है। वहीं, देश के आइटी कारोबार पर भी राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन की सख्ती का स्पष्ट असर दिख रहा है। फिलहाल अमेरिका में नए राष्ट्रपति के रूप में डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडन निर्वाचित हो चुके हैं। इसे लेकर देश के आइटी क्षेत्र में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस क्षेत्र के दिग्गजों का कहना है कि आने वाले जो बाइडन के कार्यकाल से देश के आइटी कारोबार को नई बुलंदी मिलने की उम्मीद है।
देश के आइटी-बीपीएम (इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी-बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) क्षेत्र का कारोबार वर्ष 2019 में 177 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंच गया है। नेशनल एसोसिएशन आफ साफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नेस्काम) के अनुसार देश के आइटी क्षेत्र की विकास दर 6.1 प्रतिशत है। उम्मीद है कि वर्ष 2025 तक आइटी क्षेत्र का कारोबार 350 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंच जाएगा।
वहीं, आइटी विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुग्राम ही नहीं देश भर के आइटी-बीपीएम हब को सबसे अधिक कारोबार अमेरिका से ही मिलता है। मगर पिछले को कुछ सालों से अमेरिकी आउटसोर्सिंग की तीव्रता में कमी आई है। वहीं भारतीय पेशेवरों को मिलने वाले एच1बी वीजा को देने के नियमों को भी अमेरिकी प्रशासन द्वारा काफी सख्त कर दिया गया है। अब देश के आइटी क्षेत्र को इस बात की पूरी उम्मीद है कि जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहले ही की तरह से आइटी क्षेत्र में खुलापन आएगा और अमेरिका में भारतीय आइटी पेशेवरों को अधिक से अधिक मौका मिलेगा।
राकेश कपूर (सीईओ, प्रोसेस 9) के मुताबिक, जो बाइडन के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से भारत के आइटी क्षेत्र में सकारात्मकता आने और उत्साह बढ़ने की पूरी उम्मीद है। भारत-अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध और बेहतर होंगे। साथ ही भारत के लोगों को अधिक से अधिक ग्रीन कार्ड मिलने का रास्ता खुल जाएगा। इसकी शुरुआत होती भी दिख रही है। अमेरिकी अदालत ने वीजा पर नए प्रतिबंधों को खारिज भी कर दिया है।
प्रदीप यादव (अध्यक्ष, हाइटेक इंडिया) का कहना है कि शुरू से ही डेमोक्रेट की नीतियां आर्थिक मामलों में वैश्विक रहतीं हैं, इनमें खुलापन और लचीलापन रहता है। वहीं रिपब्लिकन पार्टी इस मामले में आत्मकेंद्रित होता है। इस बात की पूरी उम्मीद है कि वर्तमान के मुकाबले बाइडन के आने से आइटी क्षेत्र को जरूर फायदा होगा। राजनीतिक रूप से देखा जाए तो ट्रंप का कार्यकाल भारत के लिए बेहतर है, फिलहाल जो समस्या है वह आर्थिक नीतियों को लेकर आ रही है।