काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सामाजिक विज्ञान संकाय के तहत चलने वाले महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र में नीता अंबानी को विजिटिंग प्रोफेसर बनाए जाने के प्रस्ताव का छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया है। कुलपति आवास पर धरना देकर छात्रों ने बीएचयू के इस फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए इसे विश्वविद्यालय की गरिमा के विपरीत बताया।
छात्रों ने कुलपति पर बीएचयू को उद्योगपतियों के इशारे पर चलाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। उधर कुलपति के निर्देश पर सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रोफ़ेसर कौशल किशोर मिश्र छात्रों से बात करने कुलपति आवास के बाहर आए लेकिन छात्र कुलपति से बातचीत करने पर अड़े हैं। उनका कहना है कि कुलपति को इस मुद्दे पर आकर बातचीत करनी चाहिए। बाद में छात्रों ने मांग पत्र संकाय प्रमुख सौंपा।
दरअसल, विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी की पत्नि नीता ने मुंबई विश्वविद्यालय से बीकॉम किया है और उन्हें वर्ष 2014 में रिलायंस इंडस्ट्रीज का कार्यकारी निदेशक बनाया गया।
साल 2010 में उन्होंने रिलायंस फाउंडेशन का गठन किया था। उनकी एक सफल महिला उद्यमी होने की छवि की वजह यह प्रस्ताव दिया गया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अगर वह बीएचयू से जुड़ती हैं तो इसके माध्यम से पूर्वी उत्तर प्रदेश में महिला उद्यम को बढ़ावा देने में मदद मिलेगा।
केंद्र की समन्वयक प्रो. निधि शर्मा के अनुसार महिला उद्यम, सामाजिक समस्याओं और महिला सहानभूति के क्षेत्र में नीता अंबानी का नाम विश्व स्तर पर लिया जाता है। उनके द्वारा किए जा रहे बेहतर कार्यों की तकनीक बीएचय से लगायत पूरे पूर्वांचल के गांव-गांव में पहुंचनी जरूरी है।
सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा के अनुसार नीता अंबानी ने मौखिक तौर पर स्वीकारा भी है। वैसी भी मालवीय जी के समय से परंपरा रही है कि बीएचयू से बड़े उद्योगपतियों को जोड़ा गया है। उसी कड़ी में अंबानी को जोड़ने की कोशिश हो रही है। उनके जुड़ने से महिलाओं को रोजगार के कई साधन उपलब्ध होंगे।