वाशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के बाद एक बार फिर अमेरिका और चीन के संबंध काफी तल्ख हो गए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में उल्लिखित 80 चीनी कंपनियों को सूचीबद्ध किया है। मंत्रालय का कहना है कि अनजाने में इन चीनी कंपनियों में अमेरिकी नागरिक धड़ल्ले से निवेश कर रहे हैं। सूची में शामिल कई कंपनियां चीन की सैन्य गतिविधियों में शामिल है। यह सूची अमेरिका और चीन के बीच संबंधों के बिगड़ने के बीच आई है।
CCP और चीन की सैन्य गतिविधियों में शामिल हैं कंपनियां–
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है चिन्हित की गई कंपनियों का संबंध चीन की सैन्य गतिविधियों से है। अधिकतर का संबंध चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से है। कई कंपनियां चीन की रक्षा विभाग में भी लिस्टेड है। विदेश विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि MSCI और FTSE जैसे सूचकांक प्रदाताओं द्वारा विकसित कई प्रमुख स्टॉक और बॉन्ड सूचकांकों में पीपल्स रिपब्लिक शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि इनमें से कुछ कंपनियां नागरिकों की निगरानी और मानवाधिकारों के दमन के लिए प्रौद्योगिकी का उत्पादन करती हैं। इन कंपनियों का संबंधदमनकारी अपराधों से हैं। खासकर चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के दमन से ये ताल्लुक रखती हैं।
अमेरिका ने चीन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर लगाया ब्रेक–
बता दें कि शुक्रवार को अमेरिका ने चीन के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के रूप में प्रच्छन्न पांच कार्यक्रमों पर रोक लगा दिया था। अमेरिका का कहना है कि ये कार्यक्रम पूरी तरह से चीन कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा वित्त पोषित थे। 3 दिसंबर को अमेरिकी सरकार ने चीन के शिलजियांग से कपास के आयात पर भी रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन के कारण यह कदम उठाया गया है।
अमेरिका ने चीनी अधिकारियों पर लगाया प्रतिबंध–
अमेरिका ने शुक्रवार को चीन के अधिकारियों और विदेशी प्रभाव संचालन में लगे व्यक्तियों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि प्रतिबंध चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों या संयुक्त मोर्चा विभाग से जुड़े प्रचार अभियान में हिस्सा लेने वाले व्यक्ति पर लागू होगा। पोम्पिओ ने सख्त लहजे में कहा कि अमेरिका इस तरह के वीजा प्रतिबंधों को लागू करना जारी रखेगा। उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों का अमेरिका में स्वागत नहीं किया जा सकता। उन पर इस तरह के प्रतिबंध लागू रहेंगे।